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मनरेगा कर्मियों का मानदेय 30% तक बढ़ेगा, मंत्री दीपिका पांडेय की मीटिंग में प्रस्ताव मंजूर

cy520520 2025-12-4 01:39:47 views 409

  

मंत्री दीपिका पांडेय।



राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड में मनरेगा कर्मियों का मानदेय 30 प्रतिशत तक बढ़ने की संभावना प्रबल हो गई है। ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री दीपिका पांडेय सिंह की अध्यक्षता में झारखंड राज्य ग्रामीण रोजगार गारंटी परिषद की बैठक में इससे संबंधित प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी गई। परिषद के अध्यक्ष मुख्यमंत्री होते हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

बुधवार को सीएम के निर्देश पर ग्रामीण विकास मंत्री ने बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में मंत्री हफीजुल अंसारी की भी मौजूदगी रही। बैठक के दौरान कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए।

इस दौरान ग्रामीण विकास विभाग के सचिव, मनरेगा आयुक्त, प्रमंडलीय आयुक्त के साथ-साथ कई वरीय अधिकारी भी मौजूद रहे। बैठक में मनरेगा कर्मियों के हित, योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन तथा ग्रामीण रोजगार सशक्तिकरण पर व्यापक चर्चा हुई।

मंत्री श्रीमती दीपिका पांडेय सिंह ने स्पष्ट निर्देश दिया कि मनरेगा कर्मियों का मानदेय 30 प्रतिशत तक बढ़ाया जाए, ताकि कार्मिकों की आर्थिक सुरक्षा और कार्य क्षमता को सुदृढ़ किया जा सके।

इसके साथ ही उन्होंने मनरेगा कर्मियों के लिए ग्रुप इंश्योरेंस, एक्सीडेंट इंश्योरेंस के साथ-साथ जीवन बीमा उपलब्ध कराने के लिए एक अलग प्रस्ताव तैयार करने का निर्देश दिया। साथ ही, कार्मिकों के ग्रेड पे को लेकर भी विभाग को प्रस्ताव शीघ्र लाने के लिए कहा।


मंत्री ने कहा कि ग्रामीण जनता को रोजगार का जो अधिकार दिया गया है, उसकी मजबूती और निरंतरता सुनिश्चित करना सरकार की मुख्य प्राथमिकता है। इस बैठक में राज्यभर में मनरेगा के तहत चल रहे कार्यों की समीक्षा की गई और आने वाले समय में इसके और सशक्त क्रियान्वयन पर रणनीति तय की गई। मंत्री ने बताया कि दीदी बाड़ी योजना के मजबूत होने से ग्रामीण महिलाओं को नई शक्ति मिली है और मनरेगा ने राज्य में रिकार्ड मैन-डेज निर्माण कर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान की है। केंद्र सरकार द्वारा बिना तैयारियों के लागू की गई तकनीकी प्रणाली के कारण मटेरियल पेमेंट में हो रही देरी पर भी विस्तृत चर्चा हुई।


उन्होंने भरोसा जताया कि विभाग केंद्र सरकार के साथ सकारात्मक समन्वय कायम कर समस्या का समाधान जल्द निकालने में सफल होगा। मंत्री ने कहा कि झारखंड खनिज संपदा से समृद्ध है, लेकिन कृषि की विशाल संभावनाओं को भी मनरेगा के माध्यम से सशक्त किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि राज्य के जल–जंगल–जमीन की सुरक्षा में मनरेगा एक अत्यंत प्रभावी अधिकार है, और इस दिशा में भी आवश्यक कदमों पर चर्चा हुई। बैठक में विभागीय अधिकारी, परिषद के सदस्य और संबंधित अधिकारी उपस्थित रहे।
बैठक के दौरान मनरेगा की उपलब्धियां गिनाईं

मनरेगा आयुक्त मृत्युंजय वर्णवाल ने बताया कि आधा दर्जन जिलों के उप विकास आयुक्त और मनरेगा के तहत कार्यरत अधिकारियों की मौजूदगी भी रही। बताया कि पिछले तीन वर्षों में मनरेगा के तहत कार्यरत महिलाओं का प्रतिशत बढ़ा है और यह संख्या 47 प्रतिशत से बढ़कर लगभग 52 प्रतिशत हो गई है। इसी प्रकार अनुसूचित जनजाति के श्रमिकों की संख्या में इजाफा हुआ है। इस योजना के तहत 48 हजार एकड़ भूखंड पर वृक्षारोपण किया जाएगा।
महत्वपूर्ण निर्णयों में यह भी शामिल

  • बिरसा हरित ग्राम योजना के तहत बीएससी एग्रीकल्चर पास युवकों को काम करने का मौका मिलेगा।
  • सहायक अभियंता अभी पांच लाख तक राशि की योजना को स्वीकृति देते हैं जिसे बढ़ाकर 10 लाख करने पर सहमति बनी।
  • एक पंचायत से अधिक क्षेत्र में फैली योजनाओं के लिए पंचायत समिति को एजेंसी बनाया जाएगा।
  • वीर शहीद पोटो हो खेल योजना के तहत मैदानों में चेंजिंग रूम और शौचालय का निर्माण कराया जाएगा।
  • पहली बार 48 हजार परिवारों को सौ दिन से अधिक रोजगार मुहैया कराया गया है। इसके साथ ही जंगलों में रहनेवाले जनजातीय आबादी के लिए भी 150 दिनों का राेजगार मुहैया कराने का निर्णय लिया गया है।
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