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सिवान की मिनी पटेल ने ग्रैपलिंग में रचा इतिहास, 20 स्वर्ण के साथ बनीं बिहार की नई स्टार

LHC0088 2025-12-3 16:10:55 views 65

  

सिवान की मिनी पटेल ने ग्रैपलिंग में रचा इतिहास



संवादसूत्र, रघुनाथपुर (सिवान)। सिवान जिला के दक्षिणांचल की सुदूर ग्रामीण क्षेत्र रघुनाथपुर प्रखंड के नवादा गांव की बेटी मिनी कुमारी पटेल ने राष्ट्रीय स्तर पर अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराते हुए बिहार को गौरवान्वित किया है। किसान परिवार से आने वाली मिनी ने वर्ष 2019 से 2025 के बीच 20 स्वर्ण, 3 रजत और 5 कांस्य पदक जीतकर राज्य का नाम देशभर में रोशन किया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें


मिनी की खेल यात्रा कक्षा 10वीं में सेल्फ डिफेंस प्रशिक्षण से शुरू हुई, जब विद्यालय में कोच प्रियेश कुमार तिवारी आए थे। उनके मार्गदर्शन में मिनी ने ग्रैपलिंग, सेल्फ डिफेंस और कराटे का प्रशिक्षण शुरू किया और फिर लगातार उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में पदक हासिल किए।
लगातार छह वर्षों में राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर शानदार प्रदर्शन

मिनी पटेल ने 2019 में सिवान जिला स्तरीय ग्रैपलिंग प्रतियोगिता में स्वर्ण जीत कर अपना पहला बड़ा कदम रखा।

इसके बाद कैमूर, मुंगेर, लखीसराय और पटना में आयोजित राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं में उन्होंने लगातार स्वर्ण पदक अपने नाम किए।

राष्ट्रीय स्तर पर रोहतक (हरियाणा), सोनीपत, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड में आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं में भी उन्होंने स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक जीतकर अपनी क्षमता साबित की।

2025 में हरिद्वार में आयोजित 18वीं जूनियर राष्ट्रीय ग्रैपलिंग प्रतियोगिता में मिनी को राष्ट्रीय रेफरी के रूप में नियुक्त किया गया, जो उनके खेल कौशल और अनुशासन का बड़ा प्रमाण माना जा रहा है।
आर्थिक अभाव के बीच उभरी प्रतिभा

मिनी के पिता उमेश पटेल, जो एक किसान एवं मजदूर हैं, कहते हैं कि आर्थिक तंगी के बावजूद उन्होंने बेटी के सपनों को रुकने नहीं दिया।

राष्ट्रीय ग्रैपलिंग कोच मनीष तिवारी का कहना है कि यदि मिनी को आर्थिक सहायता मिले, तो वह एशियन और वर्ल्ड ग्रैपलिंग चैंपियनशिप में भी भारत के लिए स्वर्ण जीतने का माद्दा रखती हैं।
बिहार की उम्मीद बनी मिनी


नवादा गांव की यह बेटी आज सिवान और बिहार की नई पहचान बन चुकी है। खेल जानकारों का मानना है कि यदि उन्हें उचित प्रायोजन और संसाधन मिल जाए, तो आने वाले वर्षों में वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारत का तिरंगा फहरा सकती हैं।
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