दुर्घटनाओं को रोकने के लिए यातायात नियमों का पालन करना आवश्यक है।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। जिले में सबसे अधिक सड़क दुर्घटनाएं हाईवे-रिंग रोड पर हो रही हैं। शहर की सड़कों पर गाड़ी चलाने की तुलना में हाईवे पर गाड़ी चलाने का अलग अनुभव होता है। बढ़ी हुई गति, लंबी दूरी, बदलती सड़क की स्थिति और अन्य वाहनों की अलग-अलग शैलियों के साथ, चालक को हाईवे पर गाड़ी चलाने के लिए नियमों से परिचित होना जरूरी है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
कई प्रकार के वाहन ट्रक, बस, कार, दोपहिया वाहन हाईवे पर एक साथ चलते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में अप्रत्याशित रूप से जानवर या पैदल यात्री आ जाते हैं। जगह-जगह बने कट से अचानक वाहन भी सामने आ जाते हैं। ऐसे में तेज रफ्तार वाहन को रोकना मुश्किल हो जाता है और दुर्घटना होती है। वाराणसी के आसपास से नेशनल हाईवे, रिंग रोड व स्टेट हाईवे गुजरते हैं।
नेशनल हाईवे दो से चार लेन के हैं। इस पर तेज रफ्तार में वाहन चलते हैं। स्टेट हाईवे नेशनल हाईवे की तुलना में संकरे हैं। वाराणसी में हरहुआ रिंग रोड पर अक्सर दुर्घटना होती है। यहां सिग्नल सालों से खराब है और ट्रैफिक पुलिस रात में मौजूद नहीं रहती है। वाराणसी-बाबतपुर हाइवे पर काजीसराय के पास गड़वा चौराहा दुर्घटना बहुल क्षेत्र बना हुआ है। दुर्घटना रोकने के लिए कोई उपाय नहीं किया गया है।
वहीं वाराणसी-आजमगढ़ मार्ग पर गोला, झरहीया, तिसौरा, कपीसा बाजारके दुर्घटनाएं हो रही हैं। गोला ग्राम के समीप बने कट पर बीते छह महीने में छह से अधिक लोगों की मौत हो गई है। लिंक रोड से अचानक हाईवे पर गाड़ियों के आने से दुर्घटना होती है। तेज गति से गाड़ी वालों को अचानक किसी के आ जाने की आभास नहीं होता है, जबकि एनएचआई द्वारा गांवों, बाजारों, घनी बस्तियों में सर्विस रोड बनाने का प्रविधान भी है। सर्विस रोड नहीं होने से प्रायः बाइक या कार सवार दुर्घटना का शिकार होते रहते हैं।
निर्धारित होती है नेशनल हाईवे पर वाहनों की रफ्तार
हल्के मोटर वाहन 80-100 किमी-प्रति घंटा
भारी वाहन (ट्रक, बसें) 55-65 किमी-प्रति घंटा
दुपहिया वाहन 50-80 किमी-प्रति घंटा
यातायात नियमों का करें पालन
जब तक ओवरटेकिंग न करनी हो, हमेशा बायीं लेन में चलें।
ओवरटेकिंग के लिए केवल दाहिनी लेन का प्रयोग करें और ओवरटेकिंग के बाद तुरंत बाईं लेन पर वापस आ जाएं।
जिग-जैग ड्राइविंग न करें, बिना संकेत दिए अचानक लेन परिवर्तन से बचें।
जहां तक संभव हो, दाईं ओर से ओवरटेक करें, इसका संकेत भी दें
दो लेन वाले राजमार्ग पर कभी भी बाईं ओर से ओवरटेक न करें।
इन गलतियों की अनदेखी से होती हैं सड़क दुर्घटनाएं
कई चालक लेन के नियमों की अनदेखी करते हुए अप्रत्याशित रूप से लेन बदलते रहते हैं।
गलत दिशा से ओवरटेक करना, विशेषकर दो लेन वाली सड़कों पर, खतरनाक होता है और अक्सर दुर्घटनाओं का कारण बनता है।
ओवरटेक करते समय पीछे से आने वाली गाड़ी का भी ध्यान रखें।
महत्वपूर्ण संकेत और प्रतीक
गति सीमा संकेत- लाल बार्डर वाला गोलाकार चिह्न जो अधिकतम गति दर्शाता है
ओवरटेकिंग निषेध- दो कारों वाला गोलाकार चिह्न जिनमें से एक लाल है
विभाजित राजमार्ग- यह दर्शाता है कि राजमार्ग किसी मध्यिका से विभाजित है या नहीं
तीव्र मोड़- घुमावदार तीर के साथ चेतावनी त्रिकोण
पैदल यात्री क्रासिंग- पैदल यात्री क्षेत्र या गांव क्रासिंग को दिखाता है
पशु क्रासिंग- आस-पास पशुधन या जंगली जानवरों की चेतावनी
विश्राम क्षेत्र - आगे सेवाओं की उपलब्धता दर्शाने वाले संकेत
टोल प्लाजा: टोल भुगतान के लिए तैयार रहने की चेतावनी
जानें प्रतीक चिह्नों के बारे में
सफेद रेखा- लेन परिवर्तन या ओवरटेकिंग निषिद्ध
टूटी हुई सफेद रेखा- लेन परिवर्तन और ओवरटेकिंग सावधानी के साथ अनुमति
पीली रेखा-आमतौर पर यह दर्शाती है कि दोनों दिशाओं में ओवरटेकिंग नहीं की जा सकती
इन बातों का भी रखें ध्यान
ट्रक अचानक लेन बदल लें या धीमी गति से चलने वाले वाहन गलती से तेज लेन पर आ जाएं तो सावधान रहें l
जिस वाहन के पीछे चल रहे हैं उसके बीच कम से कम दो सेकेंड का अंतर रखें l
वाहन चलाते समय मोबाइल फोन का उपयोग न करें l
मुड़ने या लेन बदलने से कम से कम तीन सेकेंड पहले टर्न सिग्नल का प्रयोग करें।
धीमी गति से चलने वाले वाहनों को सुरक्षित और धैर्यपूर्वक ओवरटेक करें।
लंबी यात्रा के दौरान हर दो से तीन घंटे में वाहन से बाहर निकलकर थोड़ी देर आराम करें।
राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़े बताते हैं
40 प्रतिशत से ज़्यादा सड़क दुर्घटनाएं तेज रफ्तार के कारण होती हैं।
30 प्रतिशत दुर्घटनाएं रात में राजमार्गों पर कम रोशनी और चालक की थकान के कारण होती हैं।
15 प्रतिशत दुर्घटनाओं की वजह वाहन चलाते समय मोबाइल फोन का उपयोग के कारण होती हैं।
15 प्रतिशत रांग साइड से चलने, पैदल यात्री के अचानक सामने आने व अन्य कारणों से होती हैं। |