प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर। (जागरण)
जागरण संवाददाता, सुपौल। स्मार्ट फोन से बच्चों की एकाग्रता क्षीण हो रही है और चिड़चिड़ापन बढ़ रहा है। अगर समय रहते बच्चों के माता-पिता इस पर ध्यान नहीं देंगे तो भविष्य में परेशानी भी उठानी पड़ सकती है।
आधुनिक हो रहे दौर के साथ ही बच्चे भी हाईटेक हो रहे हैं। एक दौर था जब बच्चे तड़के ही क्रिकेट खेलने के लिए लिए मैदान पर पहुंचना शुरू कर देते थे लेकिन वर्तमान में स्थिति यह है कि बच्चों के हाथों में बैट और बाल नहीं बल्कि उनके हाथों में स्मार्ट फोन आ गया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
यही कारण है पढ़ाई के बाद बच्चे अपना ज्यादातर समय फोन पर ही बीता रहे हैं। शहर के जाने-माने चिकित्सक डॉ. राजाराम गुप्ता का कहना है कि फोन के ज्यादा इस्तेमाल से बच्चे तनाव व मानसिक रूप से कमजोर हो रहे हैं। उनका मानना है कि बच्चों में गुस्सा व चिड़चिडा़पन जैसी आदत बनने लगी है।
बच्चे पढ़ाई और गेम के लिए लैपटॉप, फोन व अन्य उपकरणों का इस्तेमाल अधिक करने लगे हैं। इन उपकरणों के अत्यधिक प्रयोग के कारण बच्चों में एकाग्रता की कमी होती जा रही है। ज्यादा स्मार्ट फोन के इस्तेमाल से बच्चों में हाइपर टेंशन की शिकायत काफी आ रही है।
ऐसे में अभिभावकों को चाहिए कि वे बच्चों का फोन इस्तेमाल करने के लिए समय सारणी निर्धारित करें। साथ ही बच्चों को अच्छा वातावरण देने की जरूरत है। हर वक्त घर में रहने के दौरान फोन पर ज्यादा समय देने पर बच्चों में एटेंशन डेफिसिट व्यवहार देखने को मिलता है।
इसमें बच्चों में तनाव और दुश्चिंताएं बढ़ जाती हैं। साथ ही सामाजिक अलगाव की समस्याएं होने का भी खतरा बढ़ जाता है। इसलिए जरूरी है कि बच्चे रोज सुबह घर के आसपास पार्क या पार्क न होने पर छत पर ही टहलें। साथ ही शिक्षकों व दोस्तों से बात करते रहें। |