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एमसीडी टोल वसूली से दिल्ली में जाम की समस्या बरकरार, 80 करोड़ खर्च के बाद भी राहत नहीं

deltin33 2025-12-2 07:06:18 views 90

  

दिल्ली में नहीं टोल वसूली के कारण जाम की समस्या।



जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली में प्रवेश के लिए व्यावसायिक वाहनों से वसूले जाने वाले टोल वसूली के कारण लगने वाले जाम की समस्या खत्म नहीं हो रही है। पहले इस समस्या को खत्म करने के लिए रेडियो फ्रिक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन डिवाइस (आरएफआइडी) युक्त करने के लिए 80 करोड़ रुपये खर्च किए। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

फिर भी जाम खत्म नहीं हुआ तो एमसीडी पर्यावरण क्षतिपूर्ति शुल्क (ईसीसी) की वसूली में असमानता को जाम का कारण बताते हुए सुप्रीम कोर्ट से खत्म करा लाई। ईसीसी में असमानता खत्म हुए भी दो माह का समय हो गया है लेकिन टोल नाकों पर जमीनी स्थिति अभी तक नहीं बदली है।

टोल वसूली के कारण दिल्ली के ज्यादातर टोल नाकों पर दिल्ली मे प्रवेश करने वाले लोग जाम से जूझते हैं। साथ ही लोगों का कीमती समय इस जाम में बीतता है। जबकि एनएच-नौ पर लगने वाले जाम को ही खत्म करने के लिए केंद्र सरकार ने दिल्ली मेरठ एक्सप्रेस वे जैसी परियोजना करीब ग्यारह हजार करोड़ की लागत से बनाई। लेकिन एमसीडी का टोल केंद्र सरकार की इस परियोजना पर पानी फेर रहा है।
गाजीपुर टोल नाके का सबसे बुरा हाल

दिल्ली में एमसीडी टोल के कारण जमा की सर्वाधिक खराब स्थिति गाजीपुर टोल नाके पर दिल्ली में प्रवेश करने से होती है। यहां पर फ्री लेन में भी एमसीडी के टोल वसूलने वाले कंपनी के कर्मचारी वाहनों के सामने आकर टोल वसूली करते हैं। इसके कारण पीछे तक लंबा जाम लग जाता है और लोगों का एक घंटा तक का समय जाम में खराब हो जाता है।

फ्री लेन के अलावा विनोद नगर मेट्रो डिपो के सामने एमसीडी टोल और गाजीपुर मंडी पर एमसीडी टोल के कारण जाम लगता है। इसी प्रकार की स्थिति चिल्ला बार्डर और फिर कालिंदीकुंज बार्डर की होती है। जहां पर एमसीडी के टोल लोगों के परेशानी का सबब बन रहा है। यहां पर घंटो-घंटो भर जाम लग रहा है।

इससे जरुरी कार्यों के लिए जाने वाले लोग प्रतिदिन इसके कारण देरी से पहुंचते हैं। साथ ही जाम के कारण वायु प्रदूषण भी बढ़ रहा है। जबकि वायु प्रदूषण को ही कम करने का हवाला देकर 80 करोड़ की लागत से एमसीडी के 13 प्रमुख टोल नाकों को आरएफआइडी युक्त किया गया था।

उल्लेखनीय है कि एमसीडी दिल्ली में प्रवेश करने वाले व्यावसायिक वाहनों से टोल की वसूली करती है। इससे निगम को करीब एक हजार रुपए का सालाना राजस्व मिलता है। दिल्ली में प्रवेश के लिए 156 प्रवेश प्वाइंट हैं। इसमें 13 प्रमुख प्वाइंट हैं जहां से 85 प्रतिशत दिल्ली में यातायात प्रवेश करता है। ज्यादातर इन प्वाइंट पर ही जाम लगता है।
ईसीसी पर क्या किया था दावा

एमसीडी ने सुप्रीम कोर्ट में ईसीसी में असमानता खत्म करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में जाकर दावा किया था कि जरुरी वस्तुओ वाले वाहनों या खाली व्यावसायिक वाहनों पर ईसीसी की दरे अलग-अलग होने से जांच में समय लगता है। इसकी वजह से जाम लगता है। एमसीडी के इस दावे को सुप्रीम कोर्ट ने सही मानते हुए खाली व्यावसायिक वाहन और जरुरी वस्तु लाने वाले वाहनों पर ईसीसी की छूट को खत्म कर दिया था।


ईसीसी खत्म होने से यहां लगने वाले जाम में कमी तो आई है क्योंकि पहले ईसीसी से छूट पाने का दावा करने वाले व्यावसायिक वाहन की जांच करने में दो से तीन मिनट लगते थे जबकि अब ऐसा नहीं है। वाहन चालक अपने टैग को रिचार्ज नहीं करते हैं इसकी वजह से समस्या उत्पन्न हो रही है।
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सुमित कुमार, प्रवक्ता, एमसीडी


एमसीडी ने जिस कंपनी को ठेका दे रखा उसे कर्मचारी अवैध वसूली भी करते हैं। इन्होंने कहा था कि जरुरी वस्तुएं लाने वाले वाहनों को ईसीसी से छूट मिलने से जाम लग रहा है। अब जब ईसीसी इन वाहनों से भी वसूला जा हा है तो जाम क्यों नहीं खत्म हुआ। इसकी बड़ी वजह टोल वसूली में होने वाला भ्रष्टाचार है।
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राजेंद्र कपूर, अध्यक्ष,आल इंडिया मोर्टर एंड गुड्स ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन
निगम को आर्थिक सहायता ही अंतिम उपाय

दिल्ली में एमसीडी के टोल नाकों पर जाम लगने की स्थिति को खत्म करने के आखिरी विकल्प अब यही बचा है कि दिल्ली सरकार या केंद्र सरकार इससे निगम को होने वाले राजस्व की पूर्ति करें और टोल को खत्म कर दिया जाए। अभी निगम को टोल वसूली से करीब 1000 करोड़ रुपए का सालाना राजस्व मिलता है। निगम अधिकारियों के अनुसार उसे इतना फंड मिले तो एमसीडी टोल लेना बंद कर देगी।
जाम मुक्ति के कदम

  • एमसीडी टोल वसूली को जीपीएस युक्त करें, ताकि व्यावसायिक वाहन दिल्ली में प्रवेश करते ही उनके टैग से यह राशि कट जाए।
  • अभी टोल नाको पर एमसीडी का आरएफआईडी टैग चलता है, जबकि देशभर में फास्टटैग चलता है; इसलिए टैग भी एक समान होना चाहिए।
  • टोल वसूली को कैमरा युक्त किया जाए, जो वाहन दिल्ली में प्रवेश करें उनके पंजीकरण नंबर से अपने आप टोल राशि कटे और पूरी तरह मानवीय हस्तक्षेप खत्म हो जाए।

नंबर गेम

  • 70,000 व्यावसायिक वाहन औसतन दिल्ली में प्रवेश करते हैं
  • 29,000 इसमें औसतन कार होती हैं
  • 25,000 इसमें एमएलवी होती हैं
  • 6,000 औसतन हल्के व्यावसायिक वाहन होते हैं
  • 2,800 इसमें बसें होती हैं
  • 3,400 इसमें दो एक्सल वाले ट्रक होते हैं
  • 1,000 इसमें तीन धुरी के वाणिज्य वाहन होते हैं
  • 1,100 इसमें तीन धुरी से ज्यादा वाले वाणिज्य वाहन होते हैं

दिल्ली में जिन प्रवेश द्वारों पर टोल नाकों के कारण सुबह-शाम भारी जाम लगता है:

  • रजौकरी
  • बदरपुर
  • गाजीपुर मैन
  • गाजीपुर ओल्ड
  • कालिंदी कुंज

अब तक क्या क्या हुआ है

  • 23 अक्टूबर 2018 को 13 टोल नाकों को आरएफआइडी टैग युक्त किया गया।
  • 1 जुलाई 2019 से आठ टोल नाकों पर आरएफआइडी से वाहनों का प्रवेश अनिवार्य किया गया।
  • 15 अगस्त 2019 से 13 टोल नाकों को आरएफआइडी से वाहनों का प्रवेश अनिवार्य किया गया।
  • 30 जून 2021 को 124 टोल नाकों पर आरएफआइडी टैग से प्रवेश को अनिवार्य किया गया।
  • 1 अक्टूबर 2025 से ईसीसी वसूली में होने वाली असमानता को खत्म कराया जाएगा।
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