cy520520 • 2025-12-1 22:09:06 • views 418
नरेंद्रनगर वन प्रभाग की शिवपुरी रेंज के अंतर्गत पानी के टैंक में गिरा गुलदार का शावक।
जागरण संवाददाता, ऋषिकेश: नरेंद्रनगर वन प्रभाग की शिवपुरी रेंज के अंतर्गत पानी के टैंक में गिरे एक गुलदार शावक को रेस्क्यू कर मादा से मिलाने में वन विभाग कामयाब रहा।
शावक के लापता होने पर मादा गुलदार आक्रामक हो रही थी, लेकिन मादा गुलदार के खूंखार होने से पहले वन विभाग ने सफलतापूर्वक रेस्क्यू पूरा कर मानव-वन्य जीव संघर्ष को टाल दिया।
शिवपुरी रेंज के वन क्षेत्राधिकारी विवेक जोशी ने बताया कि तीन दिन पहले स्थानीय ग्रामीणों ने विभाग को गुलदार शावक के टैंक में गिरने की सूचना दी।
जिसके बाद वन विभाग की क्विक रिस्पांस टीम (क्यूआरटी) तुरंत मौके पर पहुंची और देखा कि कई फीट गहरे खाली पेयजल टैंक में एक गुलदार शावक गिरा था। वह बाहर निकलने का प्रयास कर रहा था, लेकिन असफल रहा।
बताया कि विभागीय टीम को आशंका थी कि मादा गुलदार अपने शावक की तलाश में यहां पहुंच सकती है और हमला कर सकती है। इसे ध्यान में रखते हुए टीम के सदस्यों ने शाम ढलने से पहले ही शावक को रेस्क्यू किया, जिसमें वे सफल रहे। इसके बाद मादा गुलदार को खोजना खतरे से खाली नहीं था। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
विभाग ने कई स्थानों पर ट्रैप कैमरे लगाए और गश्त भी की। इस दौरान एक मादा गुलदार आस-पास के क्षेत्र में चहल-कदमी करती दिखी। कहा कि पुष्टि हुई कि यह शावक इसी गुलदार मादा का है, तब क्यूआरटी सदस्यों ने इस शावक को गुलदार मादा से मिलाया।
कहा कि शावक, मादा गुलदार पर चिपट गया और मादा गुलदार उसे प्यार करती रही। इसके बाद मादा गुलदार शावक के साथ जंगल की ओर चली गई।
डीएफओ नरेंद्र्नगर दिगांथ नायक ने रेंजर विवेक जोशी व क्यूआरटी टीम के सफल रेस्क्यू की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह रेस्क्यू मानव व वन विभाग का वन्यजीवों के प्रति प्रेम को दर्शाता है।
देर होती तो मादा गुलदार हो जाती खूंखार
ऋषिकेश: प्रदेशभर में कई पर्वतीय जिलों में भालू और गुलदार के जानलेवा हमले की घटनाओं के बीच मानव-वन्यजीव प्रेम की रोचक तस्वीर सामने आई है। वन विभाग व ग्रामीणों ने बहादुरी और समझदारी ने मानव-वन्यजीवन संघर्ष को सफलतापूर्वक टाल दिया।
वन क्षेत्राधिकारी (शिवपुरी रेंज) विवेक जोशी ने बताया कि मादा गुलदार अपने शावक को बहुत हिफाजत से रखती है। शावक पर किसी भी तरह के खतरे का अंदेशा होने पर मादा गुलदार का स्वभाव खूंखार हो जाता है।
कहा कि मौजूदा घटना में भी मादा गुलदार अपने शावक के लापता होने पर आक्रामक हो रही थी। वह आस-पास के क्षेत्र में घूम रही थी। यदि मादा गुलदार को शावक से मिलाने में कुछ घंटे की देरी होती तो मादा गुलदार खूंखार हो जाती और यह मानव-वन्यजीव संघर्ष का कारण बन सकता था।
इसे ध्यान में रखते हुए क्यूआरटी सदस्यों ने शावक को रेस्क्यू करने के बाद मादा गुलदार को जल्द से जल्द खोजने का लक्ष्य रखा था, ताकि शावक को जल्द मादा से मिलाया जा सके। इस दौरान वन विभाग के सामने शावक को भी सुरक्षित रखना बड़ी चुनौती रही।
रेंजर जोशी ने कहा कि शावक को गुलदार से मिलाने में ग्रामीणों की भूमिका भी सराहनीय रही। उन्होंने शावक को टैंक में पड़ा देख समझदारी दिखाते हुए हमला नहीं किया, बल्कि वन विभाग को सूचित किया। उन्होंने ग्रामीणों का वन्यजीव प्रेम को लेकर भी आभार जताया।
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