अदालत में सुनवाई के दौरान एक बेटी की पिता से मिलने की इच्छा रह गई अधूरी (फाइल फोटो)
राज्य ब्यूरो, जागरण, कोलकाता। कलकत्ता हाई कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान एक बेटी की पिता से मिलने की इच्छा अधूरी रह गई। गंभीर रूप से बीमार अपने पिता से मिलने की अनुमति को लेकर माम चक्रवर्ती नामक महिला ने हाई कोर्ट की खंडपीठ में याचिका दायर की थी। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
याचिका में उन्होंने आरोप लगाया था कि उनकी मां और छोटी बहन के विरोध के कारण वह अपने बीमार पिता से नहीं मिल पा रही हैं। स्थिति की गंभीरता को समझते हुए न्यायमूर्ति तपोब्रत चक्रवर्ती और न्यायमूर्ति पार्थसारथी चटर्जी की खंडपीठ ने शनिवार को छुट्टी के दिन भी मर्मस्पर्शी आवेदन पर तत्काल सुनवाई के लिए अपने दरवाजे खोले।
याचिकाकर्ता के पिता की हुई मौत
अचानक मामले की सुनवाई के दौरान अदालत कक्ष में कुछ पल के लिए सन्नाटा छा गया। याचिकाकर्ता पुत्री ने बताया कि उनके पिता की मौत हो गई है। दोनों जज कुछ क्षण के लिए भावुक तथा मौन हो गए और कहा-हे भगवान, अधिकारों को लेकर संघर्ष, तनाव, तर्क-वितर्क, सब एक पल में निरर्थक हो गया।
कोर्ट सूत्रों के मुताबिक 90 वर्षीय संजीत चटर्जी कोलकाता के एक निजी अस्पताल में भर्ती थे, जहां उनका इलाज चल रहा था। अपने पिता से मिलने की इच्छा रखते हुए माम ने पहले जस्टिस शुभ्रा घोष की एकल पीठ में याचिका दायर की थी। जज ने 25 नवंबर को आदेश दिया था कि अगर पिता तैयार हों, तो पुलिस संरक्षण में मुलाकात की अनुमति दी जाए।
माम का आरोप है कि जब वह शुक्रवार, 28 नवंबर को पिता से मिलने अस्पताल गईं, तो उनकी मां ने मुलाकात की अनुमति नहीं दी। उनकी मां ने एक सफेद कागज पर एक नोट के नीचे संजीत चटर्जी के अंगूठे का निशान दिखाते हुए कहा कि वह तुमसे मिलना नहीं चाहते।
पिता से क्यों मिलने नहीं दिया गया?
इसके बाद याचिकाकर्ता ने खंडपीठ का दरवाजा खटखटाया और याचिका में कहा कि उनके पिता एक शिक्षित उद्योगपति हैं, वे हस्ताक्षर के बजाय अंगूठे का निशान क्यों लगाएंगे? उन्होंने दावा किया कि मां के विरोध के कारण ही उन्हें पिता से मिलने नहीं दिया गया।
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