मैदान पर च्युइंग गम क्यों चबाते हैं खिलाड़ी? (Image Source: Freepik)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। फील्ड पर खिलाड़ियों को च्यूइंग गम चबाते हुए देखना आम बात है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि यह साधारण-सा दिखने वाला काम उनकी परफॉर्मेंस को कैसे प्रभावित करता है? कई शोध और विशेषज्ञों की मानें तो च्यूइंग गम चबाना सिर्फ आदत या टाइमपास नहीं, बल्कि दिमाग को शांत, केंद्रित और सक्रिय रखने का एक आसान तरीका है। यही वजह है कि आज न सिर्फ खिलाड़ी, बल्कि स्टूडेंट्स, ड्राइवर और ऑफिस प्रोफेशनल भी च्यूइंग गम को फोकस बढ़ाने के टूल की तरह इस्तेमाल करने लगे हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
दिमाग को शांत करने की सस्ती थेरेपी
हाल के वर्षों में च्यूइंग गम और स्ट्रेस लेवल के बीच कनेक्शन पर काफी रिसर्च हुई है। जब हम रिदमिक पैटर्न में कुछ चबाते हैं, तो दिमाग के वे हिस्से सक्रिय होते हैं जो रिलैक्सेशन और इमोशनल बैलेंस से जुड़े होते हैं। लगातार चबाने की क्रिया दिमाग को एक तरह की सुरक्षा का संकेत देती है, जिससे तनाव हार्मोन यानी कॉर्टिसोल कम होने लगता है।
ये मूवमेंट दिमाग में ब्लड फ्लो को बढ़ाता है, जिससे ध्यान और एकाग्रता बेहतर होती है। मिंट या फ्लेवर वाली गम की हल्की सुगंध एक “ग्राउंडिंग इफेक्ट” देती है, जिससे बेचैनी के समय इंसान खुद को ज्यादा स्थिर महसूस करता है। ऐसे में, लॉन्ग लर्निंग सेशन्स या फोकस वाले कामों के दौरान गम उन्हें मानसिक शांति बनाए रखने में मदद करती है। इन सभी प्रभावों का नतीजा है कि व्यक्ति तनाव को बेहतर तरीके से संभाल पाता है- वह भी बिना किसी कैफीन या सप्लीमेंट के।
खिलाड़ियों की परफॉर्मेंस में कैसे मदद करती है च्यूइंग गम? View this post on Instagram
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एक वायरल वीडियो में फिटनेस कोच गुरजीत कौर ने समझाया कि खिलाड़ी मैच के दौरान च्यूइंग गम क्यों चबाते हैं। उनकी बातों को स्पोर्ट्स परफॉर्मेंस पर हुए शोध भी सपोर्ट करते हैं।
- कम कॉर्टिसोल मतलब दबाव की स्थिति में खिलाड़ी ज्यादा शांत रहते हैं, जिससे बेहतर निर्णय लेने में मदद मिलती है।
- चबाने की लय दिमाग के उन हिस्सों को सक्रिय रखती है जो तेज रिएक्शन टाइम के लिए जिम्मेदार होते हैं।
- लंबी मैच अवधि के दौरान यह दिमाग के उत्साह को स्थिर रखती है, जिससे फोकस में गिरावट नहीं आती।
- नियंत्रित चबाने की गति तेज निर्णय क्षमता और मानसिक सहनशक्ति को थोड़ा बढ़ा सकती है।
- कई खिलाड़ी गम को एक “रिदमिक एंकर” की तरह इस्तेमाल करते हैं, जिससे उनका रूटीन और मन दोनों संतुलित रहते हैं।
यही कारण है कि चाहे फुटबॉल हो, क्रिकेट या बास्केटबॉल- मैच के तनावपूर्ण पलों में आप खिलाड़ियों को अक्सर गम चबाते देखेंगे।
डेली लाइफ में कैसे फायदेमंद है यह आदत?
गम च्यूइंग सिर्फ स्पोर्ट्स तक सीमित नहीं है। कई लोगों ने इसे अपनी रोजमर्रा की लाइफ में फोकस बनाए रखने के एक प्रभावी तरीके के रूप में अपनाया है।
- छात्र पढ़ाई या एग्जाम प्रिपरेशन के दौरान च्यूइंग गम से बेहतर ध्यान केंद्रित कर पाते हैं।
- लंबी ड्राइव या देर रात यात्रा में गम चबाने से अलर्टनेस बनी रहती है।
- ऑफिस प्रोफेशनल रिपोर्ट्स, डेटा एनालिसिस या लेखन जैसे शांत और सटीक कामों में फोकस बनाए रखने के लिए गम का सहारा लेते हैं।
- फ्लेवर और चबाने की लय दिमाग को भटकने से रोकती है, जिससे प्रोडक्टिविटी बढ़ती है।
- प्रेजेंटेशन या इंटरव्यू जैसे तनावपूर्ण माहौल में यह छोटी-सी आदत व्यक्ति को स्थिर और शांत रहने में मदद करती है।
फोकस टूल के रूप में क्यों पॉपुलर हुई च्यूइंग गम?
- च्यूइंग गम की बढ़ती लोकप्रियता एक बड़ी वजह के साथ आती है- यह आसान, पोर्टेबल और तुरंत असर देने वाला टूल है।
- चबाने की लय लंबे समय तक काम करने के दौरान स्थिरता और निरंतरता बनाए रखती है।
- इसे इस्तेमाल करने वाले लोग कहते हैं कि उन्हें दिमाग में हल्की स्पष्टता और शांत फोकस महसूस होता है।
- मानसिक थकान या अनिश्चितता के समय यह एक छोटा-सा “ग्राउंडिंग टेक्नीक” बन जाता है।
- यह तनाव में बेतरतीब खाने की आदतों को कम करने में भी मदद करता है।
चूंकि इसे जेब या बैग में आसानी से रखा जा सकता है, लोग इसे कहीं भी- क्लासरूम, ऑफिस या जिम में बिना झंझट इस्तेमाल कर लेते हैं।
च्यूइंग गम चबाना भले ही एक साधारण-सी आदत लगे, लेकिन इसके पीछे दिमाग और शरीर दोनों के लिए कई फायदे छिपे हैं। खिलाड़ियों से लेकर छात्रों और पेशेवरों तक, हर कोई इसे तनाव कम करने, फोकस बढ़ाने और मानसिक संतुलन बनाए रखने के एक आसान और प्रभावी तरीके के रूप में अपना रहा है। अगर आप भी अपने दिन में थोड़ा-सा शांत और बेहतर ध्यान चाहते हैं, तो च्यूइंग गम आपकी मदद कर सकती है।
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