सांकेतिक तस्वीर।
जागरण संवाददाता, मथुरा। एडीजे तृतीय ब्रह्मतेज चतुर्वेदी की अदालत ने गो ट्रस्ट के नाम पर 21 करोड़ की आनलाइन ठगी करने वाले आरोपित की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है।
अदालत में जमानत याचिका का विरोध सहायक शासकीय अधिवक्ता मुकेश बाबू गोस्वामी द्वारा किया गया।
सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता मुकेश बाबू गोस्वामी ने बताया कि साइबर थाने में शिव गौरा गोसेवा ट्रस्ट के नाम पर भारतीय स्टेट बैंक कैंट शाखा में खुलवाए गए करंट खातों में चार तारीखों में करीब 21 करोड़ रुपये जमा होने और उन खातों से काफी पैसे निकाले जाने के बाद बाकी रकम को बैंक द्वारा होल्ड पर डाल दिए जाने की सूचना साइबर थाने को दी गई। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
साइबर थाने ने जब इन खातों के बारे में जानकारी की तो पता लगा कि इन पर 100 साइबर ठगी की शिकायतें दर्ज की गई है। इसमें आरोपित इमरान की भूमिका सह आरोपित की है। एडीजीसी ने न्यायाधीश को बताया कि इस मामले में विवेचना जारी है।
इस प्रकार के तथ्य सामने आ रहे हैं कि सह आरोपित नौशाद द्वारा सह आरोपित अभिषेक के खाते में धनराशि ट्रांसफर की गई। अभिषेक ने गिरोह के सदस्य इमरान के खाते में सात सितंबर को दस-दस हजार रुपये ट्रांसफर किए।
आरोपित को जमानत पर रिहा किया जाने पर इस गंभीर नेटवर्क के संबंध में की जा रही विवेचना प्रभावित होगी। इसके साथ ठगी की गई धनराशि को भी ठिकाने लगाने और साइबर अपराध में शामिल होने और साक्ष्यों को मिटाया जा सकता है।
इस पर एडीजे तृतीय ब्रह्मतेज चतुर्वेदी ने एडीजीसी द्वारा दी गई दलीलों के मद्देनजर इमरान की जमानत याचिका को खारिज कर दिया। |