बाएं भावुक मुद्रा में बैठे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (फोटो- इंटरनेट मीडिया), राममंदिर के शिखर पर ध्वज आरोहण के बाद नमन करते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। सौ. से सूचना विभाग
रघुवरशरण, अयोध्या। रामनगरी को अपनी अस्मिता के केंद्र राम मंदिर पर ध्वजारोहण के साथ गौरव का यह दिन उपलब्ध कराने वाले नायक की चमक भी आह्लादित करने वाली थी। दो माह पूर्व ही उम्र के 75 वर्ष पूरे करने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उत्साह-स्फूर्ति से भरे दिखे। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
क्रीम कलर का कुर्ता, पाजामा और सदरी के ऊपर करीने से सहेजी गई लाल शाल बता रही थी कि गुजरात के इस लाल की शारीरिक भाव-भाषा का शिष्ट-वैशिष्ट्य पद की गरिमा के अनुरूप शीर्षस्थ तक जा पहुंचा है। अपनी उपस्थिति मात्र से कुलीनता का बोध कराने वाले प्रधानमंत्री की प्रति पल स्पंदित जीवंतता-सजगता युवाओं को भी प्रेरित करने वाली थी। प्रधानमंत्री मानसिक रूप से शांत-संकल्पित और सुस्थिर दिखे।
रामजन्मभूमि परिसर में प्रवेश से लेकर भाषण से पूर्व तक के एक घंटा से भी अधिक समय तक उनका शाल पूरी लिज्जत से उनके हाथों में जहां का तहां लिपटा रहा और प्रधानमंत्री ने आरती करते तथा प्रसाद लेते हुए उसे पूरी सहजता से संभाले रखा। पूजन के बाद प्रसाद ग्रहण के बीच के कुछ क्षण वह प्रार्थना में भी सहज लीन दिखे और आराध्य से कुछ कहते और कुछ सुनते प्रतीत हुए।
महर्षि वाल्मीकि अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट से लेकर साकेत महाविद्यालय परिसर के हेलीपैड तथा रामजन्मभूमि परिसर में मुख्य मंदिर एवं पूरक मंदिरों में दर्शन-पूजन करते हुए प्रधानमंत्री यह सवाल भी पैदा कर रहे थे कि चौथेपन की ओर बढ़ा कोई व्यक्ति क्या इतना ऊर्जस्वित हो सकता है। उनका चेहरा तो दमक ही रहा था, तेज कदमों से निर्धारित पथ पर आगे बढ़ते तथा आराध्य के सम्मुख श्रद्धावनत होने से लेकर प्रसाद ग्रहण करते और अन्य कार्यक्रम संपादित करते हुए उनकी तत्परता-सजगता का स्तर युवाओं को भी मात दे रहा था।
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राम मंदिर के साथ राष्ट्र मंदिर पर भी ध्वजारोहण का संकल्प
कोटि-कोटि भक्तों की आस्था के इस महनीय केंद्र को ध्वजारोहण के साथ शीर्षस्थ स्पर्श देने की परम तृप्ति और कुछ देर तक अहोभाव की मुद्रा में हाथ ऊपर उठाए रखने के चलते प्रधानमंत्री की दोनों हथेलियां कुछ देर के लिए प्रकंपित होकर प्रशंसकों को अंदर तक स्पर्श करती हैं।
...तो प्रधानमंत्री एक-दूसरे के संबल से उन्हें नमस्कार की मुद्रा में लाकर राम मंदिर के साथ राष्ट्र मंदिर के भी स्वर्ण शिखर पर ध्वजारोहण का संकल्प सहेजते हैं और रामजन्मभूमि परिसर में ही आधा घंटा से भी अधिक के उद्बोधन में इस संकल्प को साकार करने की पूरी जिम्मेदारी से रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए बताते हैं कि वह श्रीराम, रामनगरी और पूरे देश को लेकर कितना आगे बढ़ना चाहते हैं। |