cy520520 • 2025-11-27 13:07:31 • views 266
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट नेहा बनौधिया की अदालत ने 34 साल पुराने मामले में बुधवार को फैसला सुनाया। अदालत ने कृष्ण गोपाल को साक्ष्य के अभाव में दोषमुक्त कर दिया है। वर्ष 1991 में थाना कोतवाली क्षेत्र में सेक्शन आफिसर ने लूटपाट का आरोप लगाते हुए रिपोर्ट दर्ज कराई थी।
ब्रहमदत्त शर्मा सेंट्रल वेयर हाउस, लोनी में सेक्शन आफिसर के पद पर कार्यरत थे। 29 अक्टूबर 1991 को वह अपने विभागीय कार्य से रमतेराम रोड स्थित सेनेट्री इंस्पेक्टर के कार्यालय का पता करने के लिए वाटर वर्क्स के पास पहुंचे थे। तभी तीन अज्ञात लोग वहां आए और उन्हें जबरन गेट के बाहर एक चाय के होटल पर ले गए। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
तीनों आरोपितों ने उनसे शराब पीने के लिए पैसे मांगे। तीनों खुद को गाजियाबाद के बड़े बदमाश बताया। विरोध करने पर एक आरोपित ने उनकी जेब फाड़कर 2500 रुपये और सरकारी कागजात छीन लिए। आरोपित ने उन्हें गोली मारने की धमकी दी। मौके पर मौजूद लोगों ने एक आरोपित का नाम सुभाष बताया था और एक अन्य व्यक्ति को किशन बताया गया।
पुलिस ने किशन, सुभाष और एक अन्य व्यक्ति के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज कराई गई। विवेचना के बाद पुलिस ने अदालत में बजरिया निवासी कृष्ण गोपाल के खिलाफ धारा 392 आइपीसी में आरोप पत्र दाखिल किया था। अभियोजन की ओर से केवल एक ही गवाह वादी ब्रहमदत्त शर्मा की मुख्य जिरह हो सकी।
अन्य गवाह लगातार अनुपस्थित रहे। उन्हें पेश करने में अभियोजन पूरी तरह विफल रहा। अदालत ने स्पष्ट कहा कि आपराधिक न्यायशास्त्र में यह सिद्धांत स्थापित है कि अभियोजन को ही आरोपों को संदेह से परे साबित करना होता है। इसमें असफल रहने पर आरोपित को लाभ दिया जाता है। अदालत ने साक्ष्य के अभाव में अभियुक्त कृष्ण गोपाल को दोषमुक्त कर दिया। |
|