क्या आपको पता हैं संविधान से जुड़ी ये बातें (Picture Courtesy: Freepik)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। 26 नवंबर की तारीख भारत के लिए बेहद खास है। इसी दिन साल 1949 में डॉ. भीम राव अंबेडर की अध्यक्षता में भारत का संविधान (Indian Constitution) अपनाया गया था। हमारा संविधान सिर्फ एक कानूनी दस्तावेज नहीं है; यह एक ग्रंथ है, जो देश की आत्मा, उसके सपनों और उसके लोकतांत्रिक मूल्यों को दर्शाता है। इसलिए इस दिन को पूरे देश में संविधान दिवस (Constitution Day 2025) के रूप में मनाया जाता है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
हमारा संविधान कोई मामूली दस्तावेज नहीं है। यह सभी भारतीयों को समानता का दर्जा देता है, उन्हें कुछ अधिकार देता है और कुछ जिम्मेदारियां भी। इतना ही नहीं, संविधान से जुड़ी कई ऐसी दिलचस्प (Interesting Facts about Indian Constitution) बातें भी हैं, जो आपको हैरत में डाल सकती हैं। आइए संविधान दिवस के मौके पर जानें इससे जुड़े कुछ दिलचस्प तथ्य।
दुनिया का सबसे लंबा लिखित संविधान
भारत का संविधान दुनिया का सबसे लंबा लिखित संविधान है। मूल रूप से इसमें 395 अनुच्छेद, 8 अनुसूचियां और 22 भाग थे। समय के साथ संशोधनों के बाद, आज इसमें 448 अनुच्छेद, 12 अनुसूचियां और 25 भाग हैं। संविधान निर्माताओं ने देश की लगभग हर जटिलता को ध्यान में रखकर एक व्यापक ढांचा तैयार किया था, जो इसे बेहद खास बनाता है।
हाथ से लिखी गई मूल प्रति
शायद ही किसी देश के संविधान की मूल प्रति इतनी कलात्मक होगी। भारतीय संविधान की मूल प्रति यानी ऑरिजनल कॉपी हाथ से लिखी गई थी। इसका श्रेय प्रेम बिहारी नारायण रायजादा को जाता है, जिन्होंने इसे इटैलिक स्टाइल में खूबसूरती से लिखा। इसे लिखने में उन्हें लगभग छह महीने का समय लगा। इसके अलावा, शांतिनिकेतन के प्रसिद्ध कलाकारों, जैसे नंदलाल बोस और उनके सहयोगियों ने इसके हर पन्ने को चित्रों और बॉर्डरों से सजाया, जिससे यह एक अनूठी कलाकृति बन गई। यह अमूल्य प्रति आज भी संसद भवन की लाइब्रेरी में हीलियम गैस से भरे खास शीशे के बक्से में सुरक्षित रखी हुई है।
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2 साल, 11 महीने और 18 दिन का समय
संविधान का निर्माण कोई जल्दबाजी का काम नहीं था। संविधान सभा को इसे पूरा करने में 2 साल, 11 महीने और 18 दिन का समय लगा। इस दौरान कुल 114 दिनों की बैठकें हुईं। ड्राफ्टिंग कमेटी के अध्यक्ष डॉ. भीमराव अंबेडकर के नेतृत्व में हर शब्द, हर वाक्य पर गहन विचार-विमर्श किया गया। अंतिम रूप देने से पहले मसौदे में लगभग 2000 से ज्यादा संशोधन किए गए, जो इसकी सावधानी और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को दर्शाता है।
महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका
संविधान सभा में विविधता का प्रतिबिंब था। इसमें कुल 379 सदस्य थे, जिनमें 15 महिलाएं भी शामिल थीं। सरोजिनी नायडू, विजयलक्ष्मी पंडित, दुर्गाबाई देशमुख और हंसा मेहता जैसी महिला सदस्यों ने सक्रिय रूप से बहसों में भाग लिया और संविधान पर अपने हस्ताक्षर किए। यह उस समय की सामाजिक बनावट में एक क्रांतिकारी कदम था।
वैश्विक ज्ञान का समावेश
भारत का संविधान किसी एक देश की नकल नहीं, बल्कि दुनिया भर के संविधानों के सर्वश्रेष्ठ सिद्धांतों का बेहद सोच-समझकर तैयार किया गया दस्तावेज है। इसमें ब्रिटेन से संसदीय शासन प्रणाली, अमेरिका से मौलिक अधिकार और जुडिशियल रिव्यू, आयरलैंड से राज्य के डायरेक्टिव प्रिंसिपल, कनाडा से संघीय ढांचा, जर्मनी से आपातकालीन प्रावधान और दक्षिण अफ्रीका से संविधान संशोधन की प्रक्रिया जैसे तत्व शामिल किए गए।
26 जनवरी को लागू होने का ऐतिहासिक महत्व
संविधान 26 नवंबर, 1949 को तैयार हो गया था, लेकिन इसे 26 जनवरी, 1950 को लागू किया गया। इसके पीछे एक गहरा ऐतिहासिक महत्व था। 26 जनवरी, 1930 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने पूर्ण स्वराज की मांग की थी। इस ऐतिहासिक दिन को सम्मान देने के लिए ही 26 जनवरी का दिन \“गणतंत्र दिवस\“ के रूप में चुना गया।
निरंतर विकासशील दस्तावेज
संविधान एक स्थिर दस्तावेज नहीं है, बल्कि यह समय के साथ विकसित होता रहता है। अब तक इसमें 100 से ज्यादा संशोधन हो चुके हैं, जो इसे बदलती हुई सामाजिक और आर्थिक जरूरतों के अनुरूप ढालते हैं। हालांकि, इसकी प्रस्तावना, जिसे संविधान की \“आत्मा\“ कहा जाता है, को कभी भी बदला नहीं गया है। यह \“हम, भारत के लोग...\“ से शुरू होकर देश के उद्देश्यों की घोषणा करती है।
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