बदला लेने के लिए मां ने नाबालिग बेटी को पिता के विरुद्ध बनाया हथियार: हाई कोर्ट
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। पति से बदला लेने के लिए नाबालिग बेटी को हथियार की तरह इस्तेमाल करने वाली मां को दिल्ली हाई कोर्ट ने फटकार लगाई है।
न्यायमूर्ति अरुण मोंगा की पीठ ने कहा कि बाल संरक्षण कानूनों की ढाल नहीं बनाया जा सकता। पीठ ने कहा कि यह मामला और भी परेशान करने वाला है क्योंकि एक मां ने निजी लड़ाई में अपनी ही नाबालिग बेटी को हथियार के रूप में इस्तेमाल किया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
महिला ने बदला लेने के लिए बेटी को इस्तेमाल करते हुए अलग रह रहे अपने पति के खिलाफ पाक्सो अधिनियम के तहत मामला दर्ज कराया। महिला ने 2020 में एक प्राथमिकी दर्ज कराकर आरोप लगाया कि उसके पति और उसके चचेरे भाइयों ने उसकी नाबालिग बेटी का यौन शोषण किया।
याचिका के अनुसार महिला का अपने पति से झगड़ा हो गया था और उनके बीच वैवाहिक कलह चल रही थी। महिला की ओर से पति के परिवार के सदस्यों और रिश्तेदारों को तलब करने की अर्जी को ट्रायल कोर्ट ने खारित कर दिया था।
ट्रायल कोर्ट के इस इस आदेश को महिला ने दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। ट्रायल कोर्ट ने महिला पर 20 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया था। पीड़िता की मां के इस प्रयास को न्यायिक प्रक्रिया का घोर दुरुपयोग मानते हुए पीठ ने कहा कि जिसे न्याय की तलाश बताया जा रहा है, वह वास्तव में दबाव बनाने की एक कोशिश है।new-delhi-city-general,New Delhi City news,Yamuna River silt,encroachment removal,water holding capacity,bathymetric survey,topographic survey,Najafgarh drain survey,NGT permission,sediment management,flood control measures,Delhi news
इस उद्देश्य बच्चे के हित के बजाय पति से गहरी नफरत के कारण व्यक्तिगत बदला लेने का एक गलत तरीका है। महिला की याचिका खारिज करते हुए पीठ ने उस पर ट्रायल कोर्ट द्वारा लगाया गया जुर्माना बरकरार रखा।
साथ ही उस पर 10 हजार रुपये का अतिरिक्त जुर्माना भी लगाया। अदालत ने कानूनी प्रक्रिया का सरासर दुरुपयोग करने के लिए महिला को उक्त धनराशि को दिल्ली विधिक सेवा प्राधिकरण (डालसा) को भुगतान करने का निर्देश दिया।
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