कंडोला गेट ब्लैक स्पॉट पर झाड़ियों में छिपा एक साइनबोर्ड। जागरण
जागरण संवाददाता, हापुड़। जिले में वर्ष-2022-23 में 12 ब्लैक स्पाट की पहचान की गई थी। जबकि वर्ष-2024-25 में ब्लैक स्पाट की संख्या बढ़कर 21 हो गई। इन ब्लैक स्पाट समेत अन्य स्थानों पर वर्ष 2024 में 327 दुर्घटनाएं हुई, जिनमें 289 लोग घायल हुए। जबकि 186 लोगों की मौत हो गई। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
वर्ष 2025 अक्टूबर माह तक 332 दुर्घटनाओं में 185 लोगों ने अपनी जान गंवाई। वहीं, 367 लोग घायल हो गए। लेकिन इसके बाद भी सिर्फ कागजों में ही ब्लैक स्पाट का सुधार हुआ। लगातार दुर्घटना में लोगों की जिंदगी खत्म हो रही है, लेकिन जिम्मेदारों के पास इसका कोई जवाब नहीं है। मंगलवार को ऐसे कई ब्लैक स्पाट पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया। पेश है केशव त्यागी की रिपोर्ट...
झाड़ियों में छप गया संकेतक
धौलाना के कंदौला गेट प्रमुख ब्लैक स्पाट में एक है। इस घुमावदार मार्ग पर कंदौला गांव का व धौलाना का रास्ता मिलता। जिससे वाहन आपस में टकरा जाते हैं। आए-दिन यहां दुर्घटनाएं होती है। जिनमें लोगों की जान तक चली जाती है। फिर भी यहां पर्याप्त साइन बोर्ड व सुरक्षा के साधन नहीं लगाए गए हैं।
यहां महज एक साइन बोर्ड लगा दिखा। जिसे भी झाड़ियों ने अपने अंदर छिपाया हुआ था। इससे प्रतीत होता है कि जिम्मेदारों की लापरवाही लोगों की जान पर भारी पड़ रही है। स्थानीय निवासी रविंद्र राणा ने बताया कि यहां बच्चे, बूढ़े, महिलाएं व अन्य लोग दुर्घटना का शिकार होते हैं।
गलत दिशा में जाने से होती है दुर्घटनाएं
तीर्थनगरी ब्रजघाट के एनएच-09 पर ब्रजघाट चेक पोस्ट के पास प्रमुख ब्लैक स्पाट है। यहां टोल शुल्क से बचने के लिए छोटे बड़े वाहन गलत दिशा में जाते हैं। जिसके कारण आए-दिन यहां दुर्घटनाएं होती है। यहां न तो साइन बोर्ड लगे हैं। न प्रकाश की उचित व्यवस्था है।
सोमवार को टोल शुल्क से बचने को एक ट्रक चालक यहां से गलत दिशा में जा रहा था। जिसकी चपेट में आकर बाइक सवार अमरोहा के गांव बाटीपुरा के पांच वर्षीय अनुज की मौत हो गई थी। वहीं उसके पिता अमरपाल व माता यादो घायल हो गईं। स्थानीय निवासी विनय मिश्रा ने बताया कि दुर्घटना होना यहां आम बात है। फिर भी जिम्मेदार ध्यान देने को तैयार नहीं है।
अल्लाबक्शपुर कट पर आए-दिन होती हैं दुर्घटनाएं
गढ़मुक्तेश्वर के एनएच-09 पर टोल प्लाजा से कुछ ही प्रमुख ब्लैक स्पाट अल्लाबक्शपुर कट मौजूद है। गांव से आने वाला मार्ग हाईवे से मिलता है। यहां तेज रफ्तार वाहन आपस में टकरा जाते हैं। यहां न तो साइन बोर्ड लगे हैं। न जेब्रा क्रासिंग की कोई व्यवस्था है। वर्ष 2024 में यहां दुर्घटना छह लोगों की मौत हो गई। जिसके बाद तीन दिनों तक यहां धरना प्रदर्शन किया गया। मगर, कार्रवाई के नाम पर उन्हें सिर्फ आश्वासन मिला। स्थानीय निवासी नौरतन प्रधान ने बताया कि बार-बार अधिकारियों से समस्या के बारे में बताया गया। मगर, आज तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।
मेरठ रोड फ्लाईओवर पर टकराते हैं वाहन
हापुड़ शहर का प्रमुख ब्लैक स्पाट मेरठ रोड फ्लाईओवर है। यहां मोदीनगर व मेरठ की ओर से वाहन आते हैं। फ्लाईओवर संकरा होने के चलते वह हापुड़ की ओर से जाने वाले वाहनों से टकरा जाते हैं। यहां दुर्घटना रोकने के पुख्ता इंतजाम भी नहीं है। स्थानीय निवासी रामकुमार त्यागी ने बताया कि कई बार इस समस्या को लोगों द्वारा अधिकारियों के सामने उठाया जा चुका है। मगर, कार्रवाई कुछ नहीं हुई। जिसका खामियाजा यहां प्रतिदिन होने वाली दुर्घटनाओं में लोगों को उठाना पड़ रहा है।
ब्लैक स्पाट खत्म करने के उपाय
- सभी ब्लैक स्पाट पर रात में चमकदार रिफ्लेक्टिव साइन बोर्ड, कैट्स आई, सोलर ब्लिंकर लगाएं जाएं।
- झाड़ियां साफ करें, टूटे बोर्ड बदलें
- गलत साइड आने वाले रास्तों पर बैरिकेडिंग और पुलिस चौकी स्थापित की जाए।
- हर ब्लैक स्पाट पर 50 मीटर पहले रंबल स्ट्रिप और स्पीड लिमिट बोर्ड लगवाए जाएं।- घुमावदार मोड़ पर क्रैश बैरियर और चेतावनी लाइट लगाई जाएं।
- गलत साइड आने वाले रास्ते पूरी तरह बंद करें।
- डिवाइडर में कटी हुई जगहों पर लोहे की ग्रिल लगाई जाएं।
एनएचएआई व प्रशासनिक अधिकारियों से वार्ता कर ब्लैक स्पाट पर सुरक्षा संबंधी मानक पूरे कराए जाएंगे। ताकि, लोगों को दुर्घटना का शिकार होने से बचाया जा सके।... ज्ञानंजय सिंह, एसपी
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