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क्या है पर्सनैलिटी राइट? जिसकी सुरक्षा के लिए कोर्ट पहुंचे बॉलीवुड सितारे_deltin51

Chikheang 2025-10-3 00:36:35 views 852

  \“पर्सनैलिटी राइट्स\“ क्या है? हाल में कुछ हस्तियां कोर्ट में क्यों गईं? (फाइल)





डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सेलिब्रिटीज की तस्वीर, आवाज और स्टाइल का गलत इस्तेमाल बढ़ा है। टेक्नोलॉजी की प्रगति और एआई की मदद से \“डीपफेक\“ वीडियो और ऑडियो बनाना आसान और सस्ता हो गया है।

ऐसे में कई मशहूर हस्तियों ने अपनी पर्सनैलिटी राइट्स की रक्षा के लिए कोर्ट की शरण ली है। जानते हैं क्या है ये अधिकार और यह विषय चर्चा में क्यों है ?
पर्सनैलिटी राइट्स क्या होते हैं?

पर्सनैलिटी राइट्स किसी भी इंसान की तस्वीर, नाम, आवाज, हस्ताक्षर, स्टाइल या कैचफ्रेज (बोलने के अंदाज, स्टाइल या शैली) जैसी पहचान को बिना इजाजत इस्तेमाल करने से बचाते हैं। ये अधिकार कानून में अलग से दर्ज नहीं हैं, लेकिन अदालतें इन्हें गोपनीयता (प्राइवेसी), मानहानि और प्रचार अधिकारों से जोड़कर सुरक्षा देती हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें



देश में इससे जुड़े कई एक्ट हैं। कॉपीराइट एक्ट 1957 कलाकारों को अपने प्रदर्शन पर एक्सक्लूसिव और नैतिक अधिकार देता है। ट्रेड मार्क्स एक्ट 1999: नाम, हस्ताक्षर, टैगलाइन या कैचफ्रेज को ट्रेडमार्क कराया जा सकता है। अगर किसी का नाम या स्टाइल बिना अनुमति ब्रान्ड बेचने में इस्तेमाल हो रहा है, तो इसे रोकने का अधिकार है।
किसने नाम को ट्रेडमार्क कराया ?

अभिषेक-ऐश्वर्या राय बच्चन (सितंबर 2025 ) एआई से बनाई गई नकली कंटेंट और म्रर्चेंडाइज पर रोक। करण जौहर (सितंबर 2025 ): डीपफेक, मॉर्फिंग और डिजिटल मैनिपुलेशन पर रोक गायक अरिजीत सिंह ( 2024 ) : बॉम्बे हाई कोर्ट ने उनकी आवाज के एआई क्लोनिंग पर रोक लगाई। अमिताभ बच्चन, अनिल कपूर, जैकी श्रॉफ पहले ही पर्सनैलिटी राइट्स सुरक्षित करवा चुके हैं। यहां तक कि अमिताभ बच्चन, शाहरुख खान, अजय देवगन व अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा ने अपने नाम का ट्रेडमार्क भी कराया है।jyotibaphoole-nagar-general,Jyotibaphoole Nagar news,false police report,drunk man arrested,Jyotibaphoole Nagar crime,fake complaint,police action,Mandi Dhanaura,dial 112,up news,uttar pradesh news,up latest news,Uttar Pradesh news   


इन अधिकारों की शुरुआत कैसे हुई ?

  • 1994 में आर. राजगोपाल बनाम तमिलनाडुः सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हर इंसान को अपनी पहचान और निजता पर नियंत्रण का अधिकार है।
  • 2015 में रजनीकांत केसः मद्रास हाई कोर्ट ने माना कि अगर कोई आसानी से पहचानने योग्य है तो बिना अनुमति उसका इस्तेमाल गलत है।
  • 2023 अनिल कपूर केसः दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा- पैरोडी, आलोचना और व्यंग्य चलेगा, लेकिन बिजनेस में नाम, तस्वीर, आवाज का इस्तेमाल अवैध है।

क्या अभिव्यक्ति की आजादी पर असर पड़ेगा?

संविधान का अनुच्छेद 19 (1) (ए) बोलने और लिखने की स्वतंत्रता देता है। अदालतें मानती हैं कि पैरोडी, व्यंग्य, आलोचना, कला, शोध या समाचार के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। लेकिन प्रोडक्ट बेचने, विज्ञापन करने या एआई से कॉपी बनाने जैसे कमर्शियल इस्तेमाल पर रोक रहेगी।


अब सबसे बड़ी चिंता क्या है?

  • फ्रैगमेंटेड सिस्टम कोई एक कानून नहीं है, अलग-अलग कोर्ट आदेशों पर ही निर्भरता ।
  • एआई और डीपफेक खतराः नकली वीडियो / आवाज से स्टार्स की छवि और ब्रांड वैल्यू को नुकसान।


आम लोग भी शिकारः सिर्फ सेलेब्रिटी नहीं, बल्कि महिलाएं और साधारण लोग भी रिवेंज पॉर्न या फेक कंटेंट का शिकार हो रहे हैं। कानूनी विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत में अब एक अलग कानून बनना चाहिए ताकि हर केस कोर्ट की व्याख्या पर निर्भर न हो। यह अधिकार सिर्फ सेलिब्रिटी नहीं, बल्कि हर नागरिक का है, क्योंकि पहचान और निजता हर इंसान की गरिमा से जुड़ी है।



यह भी पढ़ें- पर्सनैलिटी राइट्स कैसे बना सिनेमा के सितारों का नया मुद्दा, AI ने बढ़ा दी सेलेब्स की टेंशन

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