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बाह में सांसद-विधायक के टकराव में मंत्री की एंट्री, CM Yogi तक पहुंचा ये राजनीतिक मामला

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बाह में राजकीय महाविद्यालय का शिलान्यास करते उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय। फोटो: जागरण



जागरण संवाददाता, आगरा। लोकसभा चुनाव में फतेहपुर सीकरी सीट पर सामने आई भाजपा की आपसी रार अभी थमती नजर नहीं आ रही है। विधान सभा चुनाव की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं, लेकिन पार्टी के नेताओं में टकराव जारी है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

अब तक फतेहपुर सीकरी के सांसद राजकुमार चाहर और बाह विधानसभा क्षेत्र से विधायक पक्षालिका सिंह के बीच चल रहे टकराव के बीच अब उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय की भी एंट्री हो गई है।

रविवार को उन्होंने सिधावली के पास राजकीय महाविद्यालय का शिलान्यास किया। इसके बाद सांसद ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र भेजकर समय से आमंत्रण न देने पर अधिकारियों की शिकायत की है।  

लोकसभा चुनाव में फतेहपुर सीकरी विधान सभा क्षेत्र सांसद राजकुमार चाहर का पार्टी के पदाधिकारियों ने ही विरोध किया था।बाह में विधायक पक्षालिका सिंह ने के बीच गतिरोध रहा था।

चुनावी सभाओं में मंच पर उनके न होने पर भी यही मायने निकाले गए। चुनाव जीतने के बाद भी हर मौके पर सांसद और विधायक के बीच गतिरोध देखने को मिला। सड़क और पुल से लेकर अन्य विकास कार्यों में दोनों अलग-अलग अपनी उपलब्धि बताते नजर आ रहे हैं।

हाल ही में पिनाहट में दुकानों के किराए को लेकर व्यापारियों के विरोध का मामला गरमाया। इसमें सांसद राजकुमार चाहर ने चौपाल लगाकर व्यापारियों की शिकायतें सुनीं। व्यापारियों ने विधायक पक्षालिका सिंह के समर्थकों पर आरोप लगाए थे।

रविवार को बाह-बटेश्वर मार्ग पर स्थित सिधावली गांव के पास राजकीय महाविद्यालय का शिलान्यास हुआ। इसमें उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय के साथ विधायक पक्षालिका सिंह शामिल हुईं।

सोमवार को सांसद राजकुमार चाहर ने शिलान्यास कार्यक्रम में पहले से आमंत्रण न देने पर आपत्ति जताते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र भेज दिया। इसमें उन्होंने लिखा है कि उनके संसदीय क्षेत्र के बाह विधान सभा क्षेत्र में राजकीय महाविद्यालय का भूमि पूजन और शिलान्यास के आयोजन हुआ।

यह महत्वपूर्ण कार्य है। सांसद होने के नाते उन्होंने भी मुख्यमंत्री से इसकी मांग की थी। शिक्षा हेतु स्वीकृति प्रदान करने पर उन्होंने मुख्यमंत्री का आभार जताया। साथ ही उन्होंने यह भी लिखा कि अचानक किए गए शिलान्यास की उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने न तो उन्हें सूचना दी और न ही उनसे परामर्श किया गया।

जनता को कैसे बुलाना है? पार्टी के कार्यकर्ताओं को भी इसकी जानकारी नहीं थी। कार्यक्रम वाले दिन ही सुबह उन्हें सूचना दी गई। सांसद के इस पत्र से विवाद लखनऊ तक खुलकर सामने आ गया है।

माना जा रहा है कि सांसद और बाह विधायक के बीच चल रहे गतिरोध के बीच अब उच्च शिक्षा मंत्री की विधायक की ओर से एंट्री हो गई है।

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