सीआइए । (रॉयटर्स)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आतंकवाद और ड्रग तस्कारी को खुले आम संरक्षण देने वाले पाकिस्तान को अपनी काली करतूतों की वजह से एक बार फिर बेनकाब होना पड़ा है। \“पाकिस्तान के परमाणु हथियार कार्यक्रम के जनक\“ अब्दुल कादिर खान के वैश्विक परमाणु तस्करी नेटवर्क का पर्दाफाश करने वाले अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआइए के पूर्व वरिष्ठ अधिकारी जेम्स लालर ने \“ठोस सबूतों\“ से उसकी कलई खोल दी है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
एक साक्षात्कार में उन्होंने बताया है कि इस मामले में एक नया मोड़ तब आया जब अमेरिकी इंटेलिजेंस ने \“\“पूरी तरह से पक्के सबूत\“\“ के साथ तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ समेत पाकिस्तानी नेतृत्व को कठघरे में खड़ा किया था कि खान पाकिस्तान के न्यूक्लियर सीक्रेट्स विदेश में बेच रहे थे। लालर ने बताया कि सीआइए के तत्कालीन निदेशक जार्ज टेनेट ने व्यक्तिगत रूप से मुशर्रफ को बताया था कि अब्दुल कादिर खान \“\“पाकिस्तान के न्यूक्लियर सीक्रेट्स लीबिया और शायद अन्य देशों को भी बता रहे हैं।\“\“
इसके बाद जबरदस्त प्रतिक्रिया हुई और खान को वर्षों तक हाउस अरेस्ट में रखा गया। मुशर्रफ के साथ इस बैठक के बारे में लालर ने कहा कि टेनेट ने मुशर्रफ को सीधे बताया कि खान न्यूक्लियर सीक्रेट्स लीक कर रहे हैं। इस पर आग बबूला हुए मुशर्रफ ने कहा, \“\“मैं उस कमीने को मार डालूंगा।\“\“ उन्होंने आगे कहा कि मुशर्रफ ने आखिरकार खान को कई वर्षों के लिए हाउस अरेस्ट में रखने का फैसला किया, जो परमाणु तस्करी नेटवर्क को नियंत्रित करने की दिशा में एक अहम कदम था।
\“मौत के सौदागर\“ के पेरोल पर पाकिस्तानी जनरल व नेता भी साक्षात्कार के दौरान लालर ने बताया कि विशेषज्ञों को खान की परमाणु तस्करी के पैमाने का एहसास होने से पहले अमेरिका ने वर्षों तक पाकिस्तान को परमाणु संपन्न बनाने में खान की भूमिका पर नजर रखा था। हमने यह नहीं सोचा था कि खान दूसरे देशों को परमाणु सीक्रेट्स लीक करने वाले तस्कर बन जाएंगे। इसलिए मैंने अब्दुल कादिर खान को \“मौत का सौदागर\“ उपनाम दिया था।
लालर ने यह भी बताया कि सीआइए ने इसकी पुष्टि की थी कि खान का नेटवर्क कई देशों को न्यूक्लियर सीक्रेट्स लीक कर रहा था। पाकिस्तान के शामिल होने के बारे में सवालों का जवाब देते हुए लालर ने कहा, \“\“खान के पेरोल पर कुछ पाकिस्तानी जनरल और नेता थे।\“\“ \“अमेरिकी विदेश नीति बड़ी पहेली, भारत से मजबूत रिश्ते भी जरूरी\“ लालर ने कहा कि अमेरिका को भारत के साथ और भी मजबूत रिश्ते बनाने चाहिए।
उन्होंने अतीत में रिश्तों में उतार-चढ़ाव के बावजूद दोनों देशों के हितों को \“\“एक जैसा\“\“ बताया। अमेरिकी विदेश नीति को एक बड़ी पहेली बताते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें कभी पूरी तरह समझ नहीं आया कि साझा हितों एवं मूल्यों के बावजूद भारत और अमेरिका \“\“कभी दुश्मन क्यों नहीं रहे, लेकिन कभी सच्चे दोस्त भी नहीं रहे। मुझे लगता है कि अमेरिका को भारत के साथ और भी मजबूत रिश्ते की जरूरत है।\“\“
(समाचार एजेंसी एएनआइ के इनपुट के साथ) |