परिवार नियोजन
डिजिटल डेस्क, पटना। राज्य सरकार ने परिवार नियोजन को लेकर नई पहल की शुरुआत की है, जिसके तहत अब पुरुषों की भागीदारी बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। जनसंख्या स्थिरीकरण और स्वस्थ पारिवारिक जीवन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से स्वास्थ्य विभाग ने राज्यभर में व्यापक जागरूकता अभियान शुरू किया है। इसमें सास–बहू–बेटी सम्मेलन, सारथी वाहन और दंपति संपर्क सप्ताह जैसी गतिविधियों के माध्यम से सामाजिक संवाद को मजबूत किया जाएगा। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, परिवार नियोजन के क्षेत्र में अक्सर महिलाओं पर ही जिम्मेदारी का भार अधिक रहा है। इसी सोच को बदलने और पुरुषों को बराबर की हिस्सेदारी देने के लिए विशेष अभियान चलाया जा रहा है।
विभागीय अधिकारियों का कहना है कि पुरुषों की सक्रिय भागीदारी से न केवल योजनाबद्ध परिवार की अवधारणा मजबूत होगी, बल्कि महिलाओं के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले जोखिम भी कम होंगे।
अभियान के तहत ‘सास–बहू–बेटी सम्मेलन’ का आयोजन सभी प्रखंडों में किया जाएगा। इन सम्मेलनों में परिवार नियोजन के महत्व, सुरक्षित मातृत्व, जन्मांतराल की आवश्यकता और विभिन्न गर्भनिरोधक उपायों की जानकारी दी जाएगी।
इन कार्यक्रमों में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित कर उन्हें परिवार के अन्य सदस्यों से संवाद बढ़ाने के लिए प्रेरित किया जाएगा।
इसके अलावा ‘सारथी वाहन’ के माध्यम से गांव–गांव घूमकर लोगों को परिवार नियोजन के स्थायी और अस्थायी साधनों के बारे में जानकारी दी जाएगी।
ये वाहन आडियो–विजुअल सामग्री के जरिये समझाएंगे कि छोटे परिवार कैसे बेहतर स्वास्थ्य, शिक्षा और आर्थिक समृद्धि का आधार बनते हैं।
अभियान की एक प्रमुख कड़ी ‘दंपत्ति संपर्क सप्ताह’ भी है, जिसके दौरान स्वास्थ्यकर्मी घर–घर जाकर दंपतियों से संवाद करेंगे।
उन्हें गर्भनिरोधक साधनों, पुरुष नसबंदी, कंडोम उपयोग, अंतरा इंजेक्शन, अंतर्गर्भाशयी साधन (आईयूसीडी) और अन्य विकल्पों के बारे में विस्तृत जानकारी दी जाएगी।
साथ ही दंपतियों को उनकी जरूरत और सुविधा के अनुसार उपयुक्त विकल्प चुनने के लिए प्रेरित किया जाएगा।
स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि परिवार नियोजन सिर्फ महिलाओं का विषय नहीं, बल्कि पति–पत्नी दोनों की साझा जिम्मेदारी है।
पुरुषों को आगे लाने से न केवल जागरूकता बढ़ेगी, बल्कि सामाजिक धारणाओं में भी सकारात्मक बदलाव आएगा। राज्य सरकार को उम्मीद है कि इस पहल से गर्भनिरोधक साधनों के उपयोग में बढ़ोतरी होगी और सुरक्षित मातृत्व के लक्ष्य को हासिल करना आसान होगा। |