रात में मूसलाधार बारिश, छह घंटे में 38.8 मिमी बरसा पानी
जागरण संवाददाता, वाराणसी। मौसम बदल चुका है। तेज हवा चल रही। गरज के साथ बारिश हो रही है। मंगलवार को देर रात करीब छह घंटे तक मूसलाधार वर्षा हुई, इसके कारण मां दुर्गा के पूजा पंडालों में पानी प्रवेश कर गया। इस बीच करीब 38.6 मिलीमीटर वर्षा रिकार्ड की गई है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
बुधवार को सुबह से लेकर शाम तक जिले के कई इलाकों में बारिश हुई। भारत मौसम विज्ञान के बीएचयू कार्यालय ने सुबह साढ़े आठ बजे से शाम छह बजे तक करीब 1.40 मिलीमीटर जबकि बाबतपुर कार्यालय ने 1.20 मिलीमीटर बारिश होने की गणना की है। कई मोहल्लों में जलजमाव होने से लोगों को समस्या झेलनी पड़ी।
मौसम विज्ञानी अतुल कुमार सिंह ने बताया कि इस सप्ताह वर्षा गतिविधियों में वृद्धि की संभावना बन रही है। मानसून वापसी की अक्षरेखा उत्तरी अक्षांश और पूर्वी देशांतर, वेरावल, भरूच, उज्जैन, झांसी, शाहजहांपुर एवं उत्तरी अक्षांश व पूर्वी देशांतर से होकर गुजर रही है।
अक्टूबर के प्रथम सप्ताह के दौरान संभावित वर्षा गतिविधियों के दृष्टिगत पूर्वांचल में मानसून वापसी के लिए अभी परिस्थितियां अनुकूल नहीं हैं। निम्न क्षोभमंडल में मध्य समुद्र तल से 1.5 किमी की ऊंचाई पर उत्तर पूर्वी राजस्थान के ऊपर चक्रवाती परिसंचरण बना हुआ है।
निचले क्षोभमंडल में 3.1 किमी की ऊंचाई पर एक द्रोणी उत्तर पूर्वी अरब सागर पर संकेंद्रित सुस्पष्ट निम्न दाब क्षेत्र से संबद्ध चक्रवाती परिसंचरण से राजस्थान होते हुए दक्षिणी पश्चिमी उत्तर प्रदेश तक जा रही है।
पश्चिम मध्य बंगाल की खाड़ी पर संकेंद्रित निम्न दाब क्षेत्र के उत्तर-पश्चिमी दिशा में आगे बढ़ते हुए अगले 12 घंटे में अवदाब में और प्रबल होकर तीन अक्टूबर को सुबह गहन अवदाब के रूप में दक्षिणी ओडिशा-उत्तरी आंध्र प्रदेश तट को पार करने के बाद शुक्रवार से रविवार तक पूर्वी यूपी को प्रभावित कर सकती है।
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इसके अलावा पांच अक्टूबर को एक पश्चिमी विक्षोभ के पश्चिमी उत्तर प्रदेश को प्रभावित करने की भी संभावना बन रही है। फिलहाल, बनारस समेत आसपास के जिलों में आंशिक रूप से बादल छाए रहेंगे। गरज के साथ छींटे पड़ने और एक-दो बार बारिश और वज्रपात की संभावना है। अधिकतम और न्यूनतम तापमान क्रमशः 32 और 26 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहेगा। कुछ स्थानों पर बिजली गिरने के साथ तेज हवा चलने की संभावना है।
भारी वर्षा का प्रभाव
- निचले इलाकों में जलजमाव, कच्चे, असुरक्षित एवं अस्थायी ढांचों को आंशिक क्षति।
- विद्युत व्यवस्था में व्यवधान, कच्ची सड़क और खराब दृश्यता से ट्रैफिक व्यवधान
- नालों व नदियों के जलस्तर में आकस्मिक वृद्धि, बागवानी फसलों को मामूली क्षति
- संपत्ति को नुकसान के मामले बढ़ सकते हैं।
दुष्प्रभाव से ऐसे करें बचाव
-- अचानक आने वाली बाढ़ की संभावना वाले क्षेत्रों से दूर रहें।
-- पक्के अथवा सुरक्षित मकानों में आश्रय लेना होगा।
-- अस्थायी और असुरक्षित संरचनाओं को सुरक्षित किया जाना चाहिए।
-- बिजली की वैकल्पिक योजना बनाई जा सकती है।
-- गड्ढों, पोखरों एवं तालाबों जिनमे बाहर से पानी आता हो में नहाने से बचें।
फसल पर असर और ऐसे करें बचाव
- बारिश से अगेती आलू की फसल में पानी भरने से बीज सड़ने एवं अंकुरण में कमी हाेगी। ऐसे में मौसम शुष्क होने पर ही आलू की बुवाई करें तथा बोई गई फसल से अत्यधिक पानी निकाल दें। सिंचाई का कार्य स्थगित रखें। बारिश होने की दशा में खड़ी फसलों में कीटनाशी, रोगनाशी और उर्वरकों का छिड़काव नहीं करें।
- खरीफ मक्का की पैदावार पर दुष्प्रभाव हो सकता है। बीज की गुणवत्ता खराब हो जाने के कारण बाजार मूल्य (भाव) कम हो जाता है। कटी हुई उपज को सुरक्षित स्थान पर रखें। खेत में ऊंचे स्थान पर रखकर पालीथिन शीट से ढक दें। वर्षा के बाद फसल को धूप में अच्छी तरह सुखाकर मड़ाई करनी चाहिए।
- धान की फसल पर बारिश से जलभराव हो जाता है, जिससे खड़ी फसलें गिर जाती हैं। जिसके कारण फसलों को काफी नुकसान हो जाता है। अरहर की फसल का विकास रुक जाता है और फूल झड़ जाते हैं जिससे उत्पादन पर काफी प्रभाव पड़ता हैं।
- तोरिया की फसल में बारिश से जल-भराव हो जाता है, जिससे खड़ी फसलों को काफी नुकसान हो जाता है। ऐसे में बुवाई स्थगित रखें। खड़ी फसलों से अतिरिक्त वर्षा जल को निकाल दें। सिंचाई और अन्य कृषि कार्य स्थगित कर दें। फूलगोभी, पत्तागोभी, टमाटर, बैगन, मिर्ची, गाजर, मूली आदि जल-भराव होने से बोये गए बीज और रोपी गई पौध सड़ जाती है, जिससे फसलों को काफी नुकसान हो जाता है। ऐसे में वर्षा के दौरान बुआई व रोपाई का कार्य स्थगित कर दें। खड़ी फसलों से अत्यधिक वर्षा जल को बाहर निकाल दें। तैयार पौध की रोपाई बुवाई का कार्य मेड़ों एवं ऊंची क्यारियों पर करें।
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