Kharif, Rabi Zaid crops: खरीफ, रबी और जायद फसलों की विशेषताएं।
एजुकेशन डेस्क, नई दिल्ली। भारत एक कृषि प्रधान देश के रूप में विश्वभर में प्रसिद्ध है। हमारे देश की लगभग 60 से 70फीसदी जनसंख्या कृषि पर निर्भर करती है और ये देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान है। भारत हजारों वर्षों से कृषि को आत्मसात किये हुए है और कृषि के क्षेत्र में विश्व में अग्रणी स्थान रखता है। हमारे देश में विभिन्न प्रकार की फसलें में अन्न, दलहन, तिलहन, नकदी, मसाले, रेशेदार और फलदार फसलें शामिल हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
कृषि को भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी कहा जाता है। हमारे देश में रोजगार का बड़ा हिस्सा कृषि क्षेत्र से ही आता है। भारत गेहूं, चावल, दाल, फल, सब्जी, दूध, मछली, कपास, गन्ना आदि उत्पादों का प्रमुख उत्पादक है और विश्व स्तर पर अग्रणी है।
भारत में तीन तरीके की होती हैं फसलें
हमारे देश में मौसम के हिसाब से वर्षभर में तीन फसलें होती हैं जिनको खरीफ, रबी और जायद के रूप में जाना जाता है। मौसम के आधार खरीफ फसलें जून जुलाई से लेकर सितंबर अक्टूबर तक, रबी फसलें अक्टूबर, नवंबर से अप्रैल मई तक एवं जायद फसलें सर्दियों में फरवरी-मार्च में बोई जाती हैं वहीं अप्रैल मई माह तक इनकी कटाई होती है। तीनों ही फसलों की विस्तृत डिटेल आप यहां से चेक कर सकते हैं।
खरीफ फसलों के बारे में डिटेल एवं विशेषताएं
खरीफ फसलों की शुरुआत जून-जुलाई माह से मानी जाती है अर्थात इन महीनों में खरीफ से जुड़ी फसलों की बुआई की जाती है। इन फसलों की बुवाई के समय अधिक तापमान और आद्रता चाहिए होती है जबकि पकने के लिए शुष्क मौसम आवश्यक होती है। ये सभी फसलें मुख्यतः मानसून, बारिश पर निर्भर होती हैं। ये सभी फसलें तीन से चार महीने में पकती हैं यानी कि इनकी कटाई सितंबर से अक्टूबर माह तक की जाती है।
खरीफ की मुख्य फसलें एवं उनका महत्व
खरीफ फसलों के अंतर्गत मुख्यतः धान (चावल), मक्का, बाजरा, ज्वार, कपास, मूंगफली, गन्ना, सोयाबीन, उड़द, मूंग, अरहर, कुल्थी, जूट आदि का उत्पादन होता है। खाद्य उत्पादन के साथ-साथ नकदी फसलें भी खरीफ में उगाई जाती हैं। इनका आर्थिक महत्व भी है, क्योंकि कई व्यवसाय और किसानों की आय खरीफ फसलों पर निर्भर करती है।
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रबी की फसलों की विशेषताएं
रबी की फसलों के लिए टेम्प्रेचर का विशेष महत्व होता है। इसलिए इसके अंतर्गत आने वाली फसलों की बुवाई अक्टूबर से दिसंबर यानी कि सर्दियों में की जाती है। रबी फसलों को तैयार होने में जलवायु का ठंडा होना आवश्यक होता है। इसलिए अगर बुआई के समय तापमान 10 से 20-22 डिग्री तक रहता है तो ये बेहतर माना जाता है। इन फसलों की कटाओ मार्च से जून तक होती है अर्थात फसलों के पकने और कटाई के समय हल्का गर्म और शुष्क वातावरण बेहतर रहता है। इन फसलों को मानसूनी बरसात से नुकसान होता है।
प्रमुख रबी फसलें
रबी की प्रमुख फैलने गेहूं, जौ, चना, मटर, मसूर, सरसों, अलसी। आलू आदि हैं। रबी फसलें आम तौर पर सिंचाई या शीत ऋतु की नमी पर आश्रित होती हैं। गेहूं, चना, सरसों, और मटर भारत के कई राज्यों जैसे पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान आदि में विशेष रूप से बोई जाती हैं । रबी की फैलने देश की खाद्य सुरक्षा और आर्थिक व्यवस्था में बहुत अहम भूमिका निभाती हैं।
जायद फसलें एवं उनकी विशेषताएं
जायद फसलें वे होती हैं जिन्हें रबी और खरीफ सीजन के बीच, गर्मी के मौसम (मार्च से जून) में उगाया जाता है। इन फसलों को तेज गर्मी, शुष्कता और और अधिक धूप वाले बड़े दिनों की आवश्यकता होती है। जायद फसलों का बुवाई का समय मार्च से अप्रैल के बीच और कटाई का समय जून के महीने में रहता है। ये फसलें मुख्यतः गर्म, शुष्क वातावरण में होती हैं इसलिए अधिकतर क्षेत्रों में इन्हें तैयार करने में अतिरिक्त सिंचाई की जरूरत पड़ती है।
प्रमुख जायद फसलें
हमारे देश की प्रमुख जायद फसलें तरबूज, खरबूजा, खीरा, ककड़ी, मूंग (ग्रीष्मकालीन), उड़द (ग्रीष्मकालीन), सूरजमुखी, कद्दू, करेला, लोबिया, चारा फसलें (बरसीम, नेपियर घास) आदि हैं।
विशेषताएं: जायद फसलें खेती का वह विकल्प हैं जिससे किसान खरीफ और रबी के बीच उपलब्ध समय का लाभ लेते हैं। इन फसलों की सबसे बड़ी खासियत यह है कि ये जल्दी पक जाती हैं। अधिकतर पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में इनकी खेती की जाती है। खेती के लिए गर्मी व सिंचाई जरूरी है, इसलिए ये फसलें उन क्षेत्रों के लिए उपयुक्त हैं जहां फसल चक्र कम समय का होता है।
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