संजय प्रसाद यादव और हेमंत सोरेन। फाइल फोटो
राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड सरकार में संजय प्रसाद यादव राजद कोटे से मंत्री हैं। बिहार चुनाव के दौरान आईएनडीआईए के बड़े दलों द्वारा झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) को सीटें नहीं दिए जाने के बाद झामुमो ने नाराजगी जताते हुए खुद को बिहार चुनाव से अलग कर लिया था। गठबंधन की समीक्षा करने को भी लेकर भी झामुमो के नेता लगातार बयान देते रहे हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
झारखंड में झामुमो के साथ कांग्रेस और राजद सत्ता में भागीदार हैं। हालांकि, प्रचंड बहुमत के कारण झामुमो की इन दलों पर ज्यादा निर्भरता नहीं है। बिहार प्रकरण में झामुमो की नाराजगी राजद से ही ज्यादा रही है। बिहार चुनाव में राजद व साथी दलों की करारी हार के बाद अब झारखंड में भी इसके साइड इफेक्ट के कयास लगाए जा रहे हैं।
भाजपा प्रवक्ता डॉ. अजय आलोक के एक्स पोस्ट के बाद इसे और बल मिला है। भाजपा प्रवक्ता ने इशारों-इशारों में ही इस ओर इंगित करते हुए लिखा था कि अब नया बम झारखंड में, हेमंत अब जीवंत होंगे।
राजनीतिक गलियारों में मंत्री संजय यादव को मंत्रिमंडल से हटाए जाने को लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं। हालांकि, झामुमो की ओर से इसपर स्पष्ट कुछ नहीं कहा जा रहा है।
मंत्री संजय यादव पर झारखंड के साथ बिहार में भी वोटर सूची में होने का आरोप लगा है। कहलगांव से संजय यादव के पुत्र राजद के टिकट पर चुनाव लड़े थे। उनकी भी चुनाव में हार हो गई। वहां वोट देने की तस्वीरें जारी करने के बाद विपक्ष के निशाने पर भी संजय यादव हैं।
पृष्ठभूमि: संजय प्रसाद यादव कौन हैं?
राजनीतिक सफर: गोड्डा विधानसभा क्षेत्र से तीसरी बार विधायक चुने गए संजय प्रसाद यादव राजद के प्रदेश महासचिव हैं। वे लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव के करीबी माने जाते हैं। 1999 (तत्कालीन संयुक्त बिहार), 2009 और 2024 के झारखंड चुनावों में उन्होंने गोड्डा सीट जीती। दिसंबर 2024 में हेमंत सोरेन कैबिनेट विस्तार के दौरान राजद कोटे से उन्हें श्रम, कौशल विकास और उद्योग विभाग सौंपे गए।
राजद के पास झारखंड विधानसभा में केवल चार विधायक हैं। गठबंधन फार्मूले के तहत एक मंत्री पद मिला है। संजय यादव का चयन उनकी तेजस्वी यादव से नजदीकी और चुनावी योगदान के कारण हुआ।
समीक्षा की बातें कह चुका है झामुमो
झामुमो ने राज्य में गठबंधन की समीक्षा की बात कही है। बिहार में करारी हार के बाद तेजस्वी यादव पर आंतरिक दबाव बढ़ा है। यह विवाद गठबंधन की एकजुटता पर सवाल उठाता है।
हालांकि, 15 नवंबर को संपन्न राज्य स्थापना दिवस समारोह में मंत्री संजय प्रसाद यादव की मंच पर मौजूदगी से यह समझा जा रहा है कि बहुत जल्दबाजी में झामुमो इसपर निर्णय नहीं करेगा। |