डा. लोहिया की पत्रिका मैनकाइंड का संपादन भी उन्होंने किया था। फोटो सौ: इंस्टाग्राम
डिजिटल डेस्क, मुजफ्फरपुर। Bihar News: समाजवादी विचारक सच्चिदानंद सिन्हा का बिहार के मुजफ्फरपुर में निधन हो गया। उन्होंने कई पुस्तकें लिखीं जिसकी खूब चर्चा हुई।
उनमें प्रमख हैं बिहार: द इंटरनल कॉलोनी, सोशलिज्म एंड पॉवर, क्योज एंड क्रिएशन। वे डा. लोहिया की पत्रिका मैनकाइंड के भी संपादक रहे थे।उनके निधन पर कई बड़े चिंतक, लेखक व समाज के विभिन्न वर्गों से जुड़े लोगों ने शोक व्यक्त किया है। इसे अपूरणीय क्षति बताया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
योगेंद्र यादव ने अपनी एक पोस्ट के माध्यम से उन्हें श्रद्धांजलि दी है। उन्होंने कहा, \“सच्चिदाजी नहीं रहे। भारतीय समाजवादी विचार परंपरा के एक युग का अवसान हो गया। मुझ जैसे ना जाने कितने युवाओं का वैचारिक प्रशिक्षण सच्चिदानंद सिन्हा को पढ़कर और सुनकर हुआ था।
हिंदी और अंग्रेज़ी में दर्जनों किताबें, सैकड़ों लेख— अधिकांश बिहार के एक गांव में बैठकर लिखे गए। अर्थव्यवस्था से लेकर कला तक, गांधी से मार्क्स और नक्सलवाद तक। हमारे युग का कोई कोना सच्चिदाजी की कलम से ना छूटा।
उम्मीद है अकादमिक जगत आने वाले समय में उनके आंतरिक उपनिवेशवाद के सिद्धांत, जाति व्यवस्था की नई व्याख्या, पूंजीवाद के पतझड़ के विश्लेषण और अन्य स्थापनाओं पर गौर करेगा।
अलविदा सच्चिदाजी! मेरा सौभाग्य था कि आपका सानिध्य और आशीर्वाद मिला। सुखद संयोग था कि पिछले महीने मुजफ्फरपुर में आपसे मुलाक़ात हो पाई। आपकी नई नवेली दाढ़ी के पीछे चिर परिचित निश्छल मुस्कान और खिली हंसी संजो कर रखूंगा। अच्छा हुआ आपने मना करने पर भी आपके चरण छू सका।\“ |