इलाके में खतरा बने बिजली के जर्जर खंभे
जागरण संवाददाता, चंदौसी। नगर में विद्युत सुरक्षा की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। विद्युत विभाग द्वारा आरडीएसएस और नगर निकाय योजना के अंतर्गत पिछले वर्ष बड़े पैमाने पर जर्जर खंभों को बदला गया था, लेकिन इसके बावजूद नगर के विभिन्न क्षेत्रों में अब भी दर्जनों खतरनाक और जर्जर पोल खड़े हैं, जो किसी भी समय दुर्घटना का कारण बन सकते हैं। इन खंभों की स्थिति इतनी खराब है कि ये गली-मुहल्लों से लेकर फव्वारा चौक जैसे प्रमुख स्थलों पर भी आसानी से दिखाई देते हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
सबसे अधिक गंभीर स्थिति सीता रोड, सेमरटोला, लोधियान मुहल्ला क्षेत्र में है। यहां बड़ी संख्या में लोहे के पोल नीचे की ओर जर्जर हो गए हैं। इनमें से कुछ की तो वेल्डिंग करके मरम्मत कर दी गई है, जबकि कई बिना किसी मरम्मत के गिरने की स्थिति में हैं। शहर के सबसे प्रमुख स्थान फव्वारा चौक स्थित मुख्य डाकघर के पास भी खंभे जर्जर हालत में खड़े हैं। इसी प्रकार सुभाष रोड, बदायूं चुंगी, हनुमानगढ़ी, वाल्मीकि बस्ती, बिसौली गेट समेत कई स्थानों पर गले और झुके पोल लगातार खतरा बने हुए हैं।
विभागीय आंकड़ों में शहरी क्षेत्र में सभी जर्जर खंभों को बदला जा चुका बताया गया है। एसडीओ अजय चौरसिया ने बताया कि आरडीएसएस और नगर निकाय योजना के तहत पिछले साल करीब 2000 जर्जर खंभों को बदला गया है, जबकि कई जगह अतिरिक्त पोल लगाए गए। आरडीएसएस योजना के तहत 2169 खंभे बदले गए, जिनमें 1162 लोहे के खंभे जबकि 1007 सीमेंट के पोल शामिल हैं। वहीं नगर निकाय योजना के तहत कुल 268 खंभों को बदला गया, जिनमें 84 लोहे के और 184 सीमेंट के खंभे शामिल थे।
विभाग का यह दावा तब है जबकि बीते 27 अक्टूबर को 36-बी रेलवे क्रासिंग के पास जर्जर खंभों पर रखा ट्रांसफार्मर अचानक गिर गया, जिससे पांच खोखे पूरी तरह ध्वस्त हो गए। घटना रात में हुई, अन्यथा बड़ा हादसा हो सकता था, क्योंकि दिन के समय यहां बड़ी संख्या में लोगों का आना-जाना लगा रहता है। इसी तरह कुछ दिनों पहले बदायूं चुंगी पर धान से भरे ट्रक की टक्कर से कई पोल टूट गए थे। विभाग ने टूटे पोलों को तो बदलवा दिया, लेकिन एक पोल अभी भी वहां झुका हुआ खड़ा है।
घनी आबादी वाले क्षेत्रों में चुनौती
विभागीय अधिकारियों का कहना है कि जब भी कोई पोल बदला जाता है तो उसका स्थान बदलकर लगाया जाता है, लेकिन अधिकतर स्थानों पर लोग नई जगह पर पोल लगाने नहीं देते। कई बार विवाद की स्थिति भी बन जाती है। ऐसे में जहां तक संभव हो मरम्मत करके काम चलाया जाता है, लेकिन जरूरत पड़ने पर खंभा बदलना ही पड़ता है।
नगर में ज्यादातर जर्जर खंभे बदले जा चुके हैं। इसके बावजूद भी यदि कहीं से जर्जर खंभे की सूचना प्राप्त होती है तो विभागीय निरीक्षण के बाद उसे बदल दिया जाता है। जहां मरम्मत से काम चल सकता है, वहां मरम्मत कर दी जाती है, लेकिन लोगों की सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं किया जाता।
- दीपलव श्रीवास्तव, अधिशासी अधिकारी
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