गाजियाबाद में छाई धुंध का नजारा। फाइल फोटो
जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा। दिल्ली-एनसीआर में खतरनाक स्तर तक पहुंच चुके प्रदूषण के बीच सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बड़ा फैसला दिया। कोर्ट ने दिल्ली और एनसीआर में सभी तरह के निर्माण कार्यों को रोकने के सुझाव को खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि निर्माण पर पूर्ण रोक लगाने से लाखों मजदूरों और श्रमिकों की आजीविका पर सीधा असर पड़ेगा, इसलिए ऐसे कदमों की बजाय सरकारों को मिलकर स्थायी, दीर्घकालिक समाधान की दिशा में काम करना होगा। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का दिल्ली-एनसीआर के रियल एस्टेट सेक्टर में स्वागत किया जा रहा है। डेवलपर्स का कहना है कि ऐसे प्रतिबंधों से न सिर्फ प्रोजेक्ट्स प्रभावित होते हैं, बल्कि लाखों लोगों की आजीविका और हाउसिंग डिलीवरी टाइमलाइन पर भी गंभीर असर पड़ता है।
काउंटी ग्रुप के डायरेक्टर अमित मोदी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने सही कहा कि ऐसे फैसलों के सामाजिक और आर्थिक परिणाम बहुत गंभीर हो सकते हैं। हमें मल्टी-लेवल एक्शन प्लान की जरूरत है जिसमें ट्रैफिक मैनेजमेंट, इंडस्ट्रियल उत्सर्जन, स्टबल बर्निंग और मानिटरिंग सिस्टम समान रूप से मजबूत हों।
मिगसन ग्रुप के एमडी यश मिगलानी ने कहा कि दिल्ली-एनसीआर का प्रदूषण सिर्फ निर्माण के कारण नहीं बढ़ता। पराली जलाने बर्निंग, ट्रैफिक, औद्योगिक गतिविधियां और लोकेशन-आधारित मौसम स्थितियां इसके मुख्य कारण हैं। ऐसे में सिर्फ निर्माण बंद करने से समस्या का हल नहीं निकलेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने बिल्कुल सही दिशा दिखाई है कि हमें दीर्घकालिक समाधान अपनाने होंगे जैसे ग्रीन टेक्नोलाजी, क्लीन एनर्जी और केंद्रीकृत मॉनिटरिंग। सिक्का ग्रुप के चेयरमैन हरविंदर सिंह सिक्का ने कहा कि कोर्ट का फैसला न सिर्फ सेक्टर बल्कि लाखों घर खरीदारों के लिए भी राहत है।
निर्माण रोकने से प्रोजेक्ट डिले होते हैं, लागत बढ़ती है और किस्त देकर घर का इंतजार कर रहे खरीदार परेशान होते हैं। अंसल हाउसिंग के कुशाग्र अंसल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला संतुलन बनाता है कि पर्यावरण की रक्षा भी जरूरी है और रोजगार व हाउसिंग निर्माण भी रुकना नहीं चाहिए। |