ढकिया गांव में बाघ की मौजूदगी के बाद एकत्र ग्रामीण व निगरानी करते वनकर्मी। स्रोत वन विभाग
संवाद सूत्र, जागरण, माधोटांडा। सर्दियों में ओस की भीगी सुबह के साथ ही बाघों ने धूप लेने के लिए पीलीभीत टाइगर रिजर्व (पीटीआर) के जंगल से बाहर निकल गांवों में जाााना शुरू कर दिया। बाघों की खेतों में दस्तक होने से ग्रामीणों में दहशत का माहौल हो गया। बाघ ने ढकिया गांव के किनारे तीन गोवंशीय पशुओं का शिकार करके मार डाला, जिसमें एक गोवंश को बाघ गन्ने के खेत में खींच ले गया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
बाघ अभी भी पीलीभीत में गन्ने के खेत में डेरा जमाए बैठा है। इसके अलावा दो क्षेत्रों में खेतों में बाघ के पगचिह्न मिले। वन विभाग ने ग्रामीणाें को अलर्ट कर दिया। बाघों के हमलों के मामले में माधोटांडा क्षेत्र पहले से ही संवेदनशील रहा है। यहां पर जंगल के दायरे से अक्सर बाघ बाहर निकल कर आबादी के किनारे नजर आते हैं। अब यहां पर जंगल से बाहर निकले बाघों की तीन स्थानों पर मौजूदगी के साक्ष्य मिले हैं।
शुक्रवार की रात्रि एक बाघ माला वन क्षेत्र से बाहर निकल कर ढकिया गांव के किनारे पहुंच गया। गांव से तीन सौ मीटर दूर बाघ ने तीन बेसहारा गोवंश पशुओं का शिकार कर लिया। एक गोवंश को बाघ गन्ने के खेत में खींच ले गया। सुबह को जब ग्रामीण खेतों पर पहुंचे तो मरे हुए गोवंशों को देखकर घबरा गए। गन्ने के खेत में गोवंश की घसीटो और बाघ के पग चिह्न देकर ग्रामीण घबरा गए।
उन्होंने तुरंत वहां से भाग कर खुद को सुरक्षित किया और इसकी सूचना बाहर वन विभाग के अधिकारियों को दी। माला वन क्षेत्र और सामाजिक वानिकी की टीम मौके पर पहुंच गई। टीम ने गोवशों को दफना दिया। वन विभाग की टीम ने बाघ के पग चिह्नों को ट्रेस किया, तो गन्ने के खेत में उसकी लोकेशन मिली।
ग्रामीणों की सुरक्षा को देखते हुए वन विभाग गन्ने के खेत में खाबर (जाल) लगाने की तैयारी कर रहा है। वनकर्मी भी निगरानी में जुटे हुए हैं। माला रेंजर राबिन सिंह ने बताया कि बाघ के हमले से तीन गोवंशीय पशुओं की मौत हुई है। बाघ की निगरानी में टीम को लगा दिया गया है। माधोटांडा गांव के किनारे भी शनिवार खेतों में बाघ के पग चिह्न मिले।
यहां पर बाघ की मौजूदगी में किसान खेतों में कार्य करने से डर रहे हैं। खीरी नौ बरामद गांव में भी खेतों में बाघ ने दस्तक दे रखी है। यहां भी पग चिह्नों को ट्रेस किया गया है। बता दें कि इस क्षेत्र में बाघ के हमले से लगातार ग्रामीणों की मौत भी हुई है। यहां पर लगभग एक दर्जन से अधिक बाघों के हमलें हो चुकें हैं।
पीलीभीत टाइगर रिजर्व के जिन क्षेत्रों में फेंसिंग नहीं है, उनमें बाघ बाहर निकल जाते हैं। ऐसे क्षेत्रों में बाघ के पदचिन्ह या उनकी मौजूदगी का कोई साक्ष्य दिखे तो तुरंत ही वन विभाग और पुलिस को सूचना दें। रात के अंधेरे में न निकलें। आवश्यता पड़ने पर टार्च लेकर समूह में जाएं।
- मनीष सिंह, डीएफओ, पीलीभीत टाइगर रिजर्व
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