गुरुग्राम में 63 से अधिक बैंक्वेट हाल बिना लाइसेंस, सीएलयू और बिना फायर सेफ्टी एनओसी के चल रहे हैं।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने गुरुग्राम शहर में अवैध रूप से संचालित हो रहे बैंक्वेट और मैरिज हॉलों के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर मंगलवार को हरियाणा सरकार और संबंधित जिला प्रशासन से जवाब मांगा है। यह मामला आरटीआई कार्यकर्ता हरिंदर ढींगरा की ओर से दाखिल जनहित याचिका के बाद कोर्ट के सामने आया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
याचिका में कहा गया है कि गुरुग्राम में 63 से अधिक बैंक्वेट हॉल बिना वैध लाइसेंस, सीएलयू (चेंज आफ लैंड यूज) की अनुमति, बिल्डिंग स्वीकृति और बिना फायर सेफ्टी एनओसी के चल रहे हैं। इनमें से 34 हॉल रक्षा आयुध डिपो के 900 मीटर प्रतिबंधित क्षेत्र में स्थित हैं, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के नियमों का उल्लंघन है।
याचिका में यह भी बताया गया कि नगर निगम गुरुग्राम ने 2014 में खुद माना था कि किसी भी बैंक्वेट हॉल के पास वैध लाइसेंस नहीं है और केवल एक ने नियमितीकरण के लिए आवेदन किया था। इसके बावजूद प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की। ढींगरा ने दलील दी कि हरियाणा के लोकायुक्त ने आठ जुलाई 2021 को उनकी शिकायत को सही पाया था और अवैध बैंक्वेट हॉलों का सर्वे कर उन्हें सील करने, एसआइटी गठित करने और जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई के आदेश दिए थे।
kasganj-common-man-issues,Scholarship exam application date, scholarship exam application, national income scholarship, merit based scholarship, scholarship exam 2025, scholarship application deadline, national talent search exam, scholarship eligibility criteria, october 4 application date, student scholarship program, ,Uttar Pradesh news
इसी क्रम में नगर निगम गुरुग्राम के आयुक्त ने जून और अगस्त 2022 में आदेश भी जारी किए, लेकिन आज तक किसी भी हॉल को सील नहीं किया गया। याचिका के अनुसार, लोकायुक्त के निर्णायक आदेश और कमिश्नर के बार-बार दिए गए निर्देशों के चार साल से अधिक समय बीत जाने के बावजूद एक भी बैंक्वेट हॉल सील नहीं किया गया है।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि यह जानबूझकर की गई निष्क्रियता, मिलीभगत, भ्रष्टाचार और दुर्भावनापूर्ण इरादे को दर्शाती है। याचिका में कहा गया कि इन अवैध हॉलों से न केवल जन सुरक्षा को खतरा है, बल्कि राज्य को करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान भी हो रहा है। ढींगरा के अनुसार, नियमितीकरण शुल्क और प्रापर्टी टैक्स की वसूली नहीं होने से 74 करोड़ रुपये से अधिक का घाटा हुआ है।
याचिकाकर्ता ने दलील दी कि अधिकारियों की यह लापरवाही हरियाणा नगर निगम अधिनियम 1994 और हरियाणा अग्नि एवं आपात सेवा अधिनियम 2022 का उल्लंघन है और नागरिकों के जीवन के मौलिक अधिकार (अनुच्छेद 21) का हनन है।
याचिका में सभी अवैध बैंक्वेट हॉल को तुरंत सील करने, बकाया राजस्व की वसूली करने और लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक व अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग की गई है। हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद सरकार और संबंधित अधिकारियों को याचिकाकर्ता के आरोपों पर विस्तृत जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।
 |