सितारगंज हाईवे का फिर शुरू हुआ निर्माण, बढ़ाई जा रही रफ्तार
जागरण संवाददाता, बरेली। रुहेलखंड मुख्यालय को पीलीभीत होते हुए सीधे उत्तराखंड को जोड़ने वाले बरेली-सितारगंज हाईवे का निर्माण बरसात के बाद फिर शुरू कराया गया है। दो पैकेज में काम चल रहा है।
बरेली-पीलीभीत पैकेज में निर्माण की गति तेज हुई है। पीलीभीत-सितारगंज पैकेज में अभी धीमी गति से काम चल रहा है। चार स्थानों पर अब भी एनएचएआई को कब्जा नहीं मिल सका है, जिसके लिए राजस्व विभाग को पत्र लिखा गया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की 650 करोड़ की इस परियोजना को दो हिस्सों में बांटकर कार्य कराया जा रहा है। बरेली से पीलीभीत तक 32.50 किमी के क्षेत्र में तीन बाइपास रिठौरा, नवाबंज-हाफिजगंज और जहानाबाद बनाए जा रहे हैं, जबकि पीलीभीत-सितारगंज के बीच 38.30 किमी के एरिया में छह बाइपास प्रस्तावित हैं।
हाईवे के लिए चयनित किसानों की भूमि का अधिग्रहण कर एनएचएआई को उपलब्ध करा दिया गया है, लेकिन प्रस्तावित बाइपास वाले चार स्थलाें पर अभी तक कब्जा नहीं मिल सका है।
पीलीभीत-सितारगंज पैकेज में दस हजार पेड़ों का कटान बाधक बना हुआ था, महीनों तक वन विभाग से एनओसी नहीं मिल सकी थी। एनओसी मिलने के बाद अवरोध खत्म हुआ, लेकिन बरसात शुरू हो जाने से काम ठप हो गया था।
एनएचएआई के परियोजना निदेशक नवरत्न स्वीकार करते हैं कि बरसात के दौरान काम बाधित हुआ था। दोनाें पैकेजों में फिर निर्माण आरंभ करा दिया गया है।
दावा किया जा रहा है कि पहले पैकेज में 25 प्रतिशत तक कार्य हुआ है, जबकि दूसरे पैकेज में 10 प्रतिशत ही कार्य हो सका है, लेकिन अब काम में तेजी आई है। धरातल पर प्रगति भी दिखाई पड़ने लगेगी।
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आधुनिक तकनीक से लैस होगा हाईवे
निर्माणाधीन हाईवे की परियोजना में आधुनिक तकनीकों को भी शामिल किया गया है। जगह-जगह डिजिटल डिस्प्ले लगवाने के साथ कैमरे भी लगवाए जाएंगे, जिससे ओवरस्पीडिंग के साथ-साथ आपराधिक घटनाओं को रोकने में भी मदद मिलेगी।
हाईवे पर अचानक बेसहारा पशुओं के झुंड आने से होने वाली दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए पूरे हाईवे पर दोनों तरफ दीवार का निर्माण कराया जाएगा। कार्ययोजना में इसे भी सम्मिलित किया गया है।
बरेली-सितारगंज हाईवे का निर्माण बरसात के चलते चार महीने बाधित रहा। वर्षा सीजन समाप्त होने के बाद दोनों पैकेजों में फिर निर्माण आरंभ करा दिया गया है। गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। कुछ स्थानों पर अभी जमीन पर कब्जा नहीं मिल सका है, इसके लिए राजस्व विभाग को पत्र लिखा गया है। संबंधित एसडीएम से संपर्क कर कब्जा लिए जाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
- नवरत्न, परियाेजना निदेशक एनएचएआई
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