पर्सनैलिटी राइट्स के लिए सेलेब्स का कोर्ट की ओर रूख
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। पर्सनैलिटी राइट्स, किसी व्यक्ति के अपनी पहचान या उसकी पर्सनैलिटी से कमर्शियल या अन्य किसी भी तरह के लाभ लेने के अधिकार से जुड़े होते हैं। इसमें व्यक्ति का नाम, इमेज, आवाज, तस्वीर, हाव-भाव या यहां तक कि उनका कोई तकिया कलाम भी हो सकता है। इन राइट्स से किसी भी व्यक्ति की पहचान का दुरुपयोग नहीं होता और कमर्शियल शोषण भी नहीं होता है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
भारत में नहीं है कोई स्पेशल कानून
कोई सेलिब्रिटी फीस लेकर किसी प्रोडक्ट का प्रचार कर सकता है लेकिन उसकी पर्सनैलिटी से किसी भी चीज को लेकर उसकी बिना परमिशन के किसी प्रोडक्ट का प्रमोशन नहीं किया जा सकता। भारत में पर्सनैलिटी राइट्स के लिए कोई स्पेशल कानून नहीं है इसीलिए यहां इन अधिकारों का उल्लंघन होता रहता है, क्योंकि छोटे बिजनेस और दुकान अपने प्रमोशनल के लिए बॉलीवुड हस्तियों की तस्वीरों का यूज करते हैं जो कि काफी आम बात है।
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दिल्ली हाई कोर्ट में अपनी याचिकाओं में, बॉलीवुड हस्तियों ने कमर्शियल वस्तुओं, फर्जी प्रोफाइल, वेबसाइट बनाने और अन्य चीजों के अलावा अश्लील एआई-क्रिएटेड कंटेंट बनाने के लिए उनकी पहचान के दुरुपयोग पर चिंता जताई है। यह पहली बार नहीं है जब सेलेब्रिटीज इस मुद्दे को लेकर अदालत गए हों। 2023 में बॉलीवुड एक्टर अनिल कपूर ने कई वेबसाइटों और प्लेटफॉर्म पर उनके नाम, तस्वीर, आवाज और उनके कैचफ्रेज झकास के कमर्शियल शोषण का आरोप लगाते हुए मुकदमा दायर किया था। यह डायलॉग उनकी एक फिल्म में इस्तेमाल होने के बाद उनके साथ जुड़ गया था।
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जैकी श्राफ को मिले पर्सनैलिटी राइट्स
पिछले साल दिल्ली हाई कोर्ट ने एक्टर जैकी श्रॉफ के पर्सनैलिटी राइट्स को बरकरार रखते हुए अधिकारों को बरकरार रखते हुए उनके नाम, तस्वीर और यहां तक कि सरनेम के इस्तेमाल पर उनकी परमिशन पर रोक लगा दी थी। अदालतों ने उनके पर्सनैलिटी राइट्स को बरकरार रखा है और संबंधित प्लेटफॉर्म्स को गैरकानूनी कंटेंट हटाने का निर्देश दिया है।
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लेकिन कानूनी जीत के बावजूद प्रचार अधिकारों की सुरक्षा के मामले में भारत को अभी भी लंबा रास्ता तय करना है, खासकर वेस्टर्न देशों की तुलना में। उसकी वजह ये है कि इस मुद्दे के लिए कोई अलग कानून नहीं है। लक्ष्मीकुमारन एंड श्रीधरन अटॉर्नीज की पार्टनर विंध्या एस मणि कहती हैं कि भारतीय अदालतें मुकदमे लड़ने के लिए प्रमोशन से संबंधित अन्य कानूनों - जैसे कॉपीराइट, ट्रेडमार्क और भारतीय संविधान में निहित मौलिक अधिकारों का भी सहारा लेती हैं। यह जर्मनी, जापान और अमेरिका जैसे देशों से अलग है जहां पर्सनैलिटी राइट्स कानून का हिस्सा हैं।
सुशांत सिंह को नहीं मिले थे पर्सनैलिटी राइट्स
2021 में जब एक्टर सुशांत सिंह राजपूत के पिता ने अपने दिवंगत बेटे के जीवन पर आधारित एक फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगाने की मांग की, तो दिल्ली उच्च न्यायालय ने यह कहते हुए फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने से इनकार कर दिया कि राजपूत की प्राइवेसी, प्रमोशन और पर्सनैलिटी के अधिकार जन्मजात नहीं है।
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इन सबके अलावा अब एआई ने भी सेलेब्रिटीज की टेंशन बढ़ा दी है, पिछले कुछ सालों से डीपफेक वीडियो के खिलाफ कई सेलेब्स ने आवाज उठाई है। वहीं अब एआई के नए-नए ट्रेंड्स और भी ज्यादा वास्तविक और रियल दिखने लगे हैं जो कि एक डर भी पैदा कर रहा है।
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