जागरण संवाददाता, पटना। इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (आइजीआइएमएस) में डेंगू संक्रमितों के जीनोम सिक्वेंसिंग में चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है। जांच में 70 मरीजों में डेंगू के विभिन्न वैरिएंट मिले हैं।
डेन वी-1 के 15, डेन वी-2 के 13, डेन वी-3 के 19 मरीज पाए गए हैं, जबकि मिक्स सिक्वेंस वाले 16 मरीज मिले हैं। रिपोर्ट के अनुसार, कुछ मरीजों में एक से अधिक स्ट्रेन भी सक्रिय पाए गए हैं। इनमें डेन वी-1 और 3 के पांच, डेन वी-2 और 3 के तीन, डेन वी-1 और 4 के पांच, तथा डेन वी-1 और 3 के दो मरीज शामिल हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
आइजीआइएमएस के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. मनीष मंडल ने बताया कि संस्थान में हुए जीनोम सिक्वेंसिंग हुए हैं। ये 70 सैंपल आइजीआइएमएस के मरीजों के हैं, जो बीते दो महीनों में आए हैं।
इसमें सबसे अधिक कंकड़बाग एवं संदलपुर इलाके के हैं। उन्होंने कहा कि एक साथ एक से अधिक वैरिएंट मिलने से संक्रमण के मामले गंभीर हो सकते हैं। ऐसे मरीजों को रिकवरी में अधिक समय लग सकता है।
संस्थान के मरीजों का हुआ जीनोम सिक्वेंसिंग
आइजीआइएमएस में माइक्रोबायोलाजी की विभागाध्यक्ष के अनुसार, डेंगू रोगियों की हुए जीनोम सिक्वेंसिंग में चारों तीन सिंगल स्ट्रेन के मरीज मिले हैं, जबकि मिक्स श्रेणी में सभी श्रेणी के मरीज हैं।
इससे चिंता बढ़ी है। डॉ. नम्रता ने बताया कि वर्ष 2012 तक डेंगू के डेन 1 व 3 स्ट्रेन से अधिक मरीज मिले थे। डेन-2 स्ट्रेन अधिक प्रभावी हो गया और अब डेन-4 जो कम संक्रामक है, उसके कुछ मामले आए हैं। डेंगू वायरस के चारों स्ट्रेन में हैमरेजिक बुखार होने की संभावना होती है, लेकिन डेन-4 स्ट्रेन में अपेक्षाकृत खतरा कम होता है।
डेन-2 स्ट्रेन के गंभीर होने की संभावना अधिक रहती है, क्योंकि इसमें प्लेटलेट्स एकाएक कम होने लगते हैं। इसमें हैमरेजिक व शाक सिंड्रोम बुखार के अतिरिक्त विभिन्न अंगों में कमजोरी की संभावना अधिक होती है। |