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NCR दहलाने के लिए 7 माह से विस्फोटक जमा कर रहा था आतंकी मुजम्मिल, यूपी और जम्मू कश्मीर से कोई भेज रहा था सप्लाई

Chikheang 2025-11-14 01:37:21 views 858

  

फतेहपुर तगा गांव में इमाम का मकान, जिसे डॉ. मुजम्मिल ने किराए पर लेकर विस्फोटक इकट्ठा किया। जागरण



प्रवीन कौशिक, फरीदाबाद। अल फलाह यूनिवर्सिटी में पढ़ाने वाला डाॅ. मुजम्मिल अपने दो ठिकानों पर करीब सात महीनों से विस्फोटक इकट्ठा करने में लगा हुआ था। उसने इसी मकसद से फतेहपुर तगा में सात माह पहले ही मस्जिद के इमाम इश्तियाक का मकान किराये पर लिया था। रोज प्लास्टिक के कट्टों में थोड़ा-थोड़ा विस्फोटक अपनी लाल रंग की अपाचे बाइक पर लाता था और यहां रखता रहा। आशंका यह भी जताई जा रही है कि उसके पास विस्फोटक सामग्री को पहुंचाने के लिए यूपी और जम्मू कश्मीर से कोई आया करता था। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
और जमा कर रहा था विस्फोटक पर पकड़ा गया

जांच में यह भी पता चला है कि रहने के लिए तो आतंकी डॉ. मुजम्मिल के पास यूनिवर्सिटी परिसर में मिला हुआ फ्लैट ही काफी था लेकिन आतंकी गतिविधियों के लिए उसे किसी सुरक्षित जगह की तलाश थी, इसलिए उसने दो गांव में किराये पर मकान लिए। अभी वह और विस्फोटक इकट्ठा करने वाला था लेकिन पुलिस ने धर दबोचा।
डीवीआर से मिलेंगे अहम सुराग

सूत्र बताते हैं कि यहीं से एनसीआर में विस्फोटक सप्लाई किया जाना था। इसलिए इतनी अधिक मात्रा में मुजम्मिल ने विस्फोटक जमा कर रखा था। आतंकी मुजम्मिल दिल्ली-एनसीआर में सिलसिलेवार धमाकों के लिए विस्फोटक का बड़े स्तर पर भंडारण कर रहा था।

जहां वह रह रहा था, उसी काॅलोनी में एक मकान के बाहर सीसीटीवी कैमरा लगा है। जो गली में आने-जाने वालों की निगरानी करता है। क्राइम ब्रांच डीएलएफ की टीम ने इसी कैमरे की डीवीआर कब्जे में ली है।
यूपी और जम्मू-कश्मीर से आती थी डिलीवरी!

इसकी जांच से पता चलेगा कि वह अपने मकान में कितनी बार आया और कितना-कितना विस्फोटक लाया था। उसने धौज में भी एक कमरा किराये पर लिया हुआ था, वहां भी विस्फोटक रखा हुआ था। सूत्रों के अनुसार, डाॅ. मुजम्मिल को यहां कोई अन्य विस्फोटक की डिलीवरी देकर जाते थे। आशंका है कि यह विस्फोटक उत्तर प्रदेश एवं जम्मू-कश्मीर से आता था।
पड़ोसी बोले, आते-जाते दिखाई देता था मुजम्मिल

फतेहपुर गांव में कृषि योग्य भूमि पर काटी गई डहरा नाम से काॅलोनी करीब डेढ़ दशक पहले काटी गई थी। इसी काॅलोनी में अब कुछ मकान भी बन गए हैं। यहीं पर इमाम ने भी एक बना-बनाया मकान खरीदा था जो काॅलोनी का आखिरी मकान था। इस मकान के तीन ओर खेत हैं।

पास में रहने वाले जावेद ने बताया कि अभी काॅलोनी विकसित नहीं हुई है। कच्ची गलियां हैं। इसलिए यहां अधिक लोगों का आना-जाना नहीं होता है। जो रह रहे हैं, उन्हें दूसरों से मतलब नहीं है क्योंकि अधिकतर लोग बाहरी हैं। इसलिए किसी से अधिक बातचीत नहीं होती है।
खाद की बोरी रखता था अपने साथ

डॉ. मुजम्मिल के बारे में जावेद ने बताया कि उसे दो-तीन बार ही आते-जाते देखा गया था। वह अपनी लाल रंग की बाइक को गली के मुहाने पर खड़ी कर देता था क्योंकि उसके मकान तक गली में कीचड़ रहता था। यहां से प्लास्टिक का कट्टा ले जाता था। कट्टी पर खाद्य बीज छपा रहता था। कभी उससे किसी ने नहीं पूछा कि इनमें क्या है। अब विस्फोटक का पता चला तो होश उड़ गए।
डाॅ. शाहीन भी आती थी किराये के कमरे पर

पता चला है कि धौज में किराये पर लिए हुए कमरे में कई बार आतंकी डाॅ. मुजम्मिल के साथ डाॅ. शाहीन को भी आते हुए देखा गया था। दोनों यहां कुछ वक्त गुजारते और फिर वापस यूनिवर्सिटी चले जाते थे।

अब पुलिस को शक है कि आतंकियों ने धौज एवं फतेहपुर तगा में कहीं और तो विस्फोटक नहीं छुपा रखे हैं। इसलिए यहां पूरी निगरानी की जा रही है।

ग्रामीणों से भी सहयोग के लिए कहा गया है। हालांकि, दोनों गांव में संदिग्ध लोगों के मकानों की जांच हो चुकी है। अभी कुछ नहीं मिला है। फिर भी पुलिस सतर्क है।

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