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Exit Polls में एनडीए को बढ़त; लेकिन असली कहानी सिर्फ आंकड़ों की नहीं, बिहार के जनादेश में दिख रहा है बदलता मूड

Chikheang 2025-11-13 14:37:46 views 807

  

बिहार के जनादेश में दिख रहा है बदलता मूड



डिजिटल डेस्क, पटना। Election Result 2025: एग्ज़िट पोल्स ने तस्वीर तो साफ़ दिखाई है, एनडीए की सत्ता वापसी लगभग तय मानी जा रही है। लेकिन सवाल सिर्फ इतना नहीं कि कौन जीतेगा, बल्कि यह भी है कि बिहार की राजनीति किस दिशा में जा रही है। यह चुनाव आंकड़ों से कहीं ज़्यादा, संदेश और भरोसे की लड़ाई साबित हुआ है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

इस बार के चुनावों की पृष्ठभूमि में एक खास बात दिख रही है। स्पेशल इंटेंसिव रिविज़न (SIR) यानी मतदाता सूची की विशेष समीक्षा। विपक्ष ने इस प्रक्रिया पर सवाल उठाए और इसे लेकर काफी विरोध भी हुआ। लेकिन तमाम शोर के बीच मतदाताओं ने मतदान में उत्साह दिखाया, और अब सबकी नज़रें नतीजों पर हैं जो शुक्रवार को घोषित होंगे।

राजनीति का एक दिलचस्प मोड़ यह भी रहा कि प्रशांत किशोर की जन सुराज के मैदान में उतरने से पारंपरिक राजनीति की जमीन हिल गई। एनडीए और महागठबंधन दोनों को अपनी रणनीति बदलनी पड़ गई, जातीय समीकरण से आगे बढ़कर विकास और कल्याण के एजेंडे को प्राथमिकता देनी पड़ी।

नीतीश कुमार की सेहत और सक्रियता पर विपक्ष ने सवाल तो उठाए, लेकिन ज़मीन पर इसका असर दिखाई नहीं दे रहा है। कई इलाकों से आ रही रिपोर्ट बताती हैं कि अति पिछड़ा वर्ग और महिलाओं में अब भी नीतीश की पकड़ मज़बूत है।

अगर एनडीए को जीत मिलती है तो यह सिर्फ एक राज्य की नहीं, बल्कि हिंदी पट्टी में पकड़ मजबूत करने वाली जीत होगी। उत्तर भारत में जहां विपक्ष सीमित राज्यों तक सिमट गया है, वहां बिहार में जीत भाजपा-जद(यू) गठबंधन को एक बड़ा मनोबल बढ़ा देगी।

हालांकि, राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा भी तेज़ है कि अगले पांच साल में भाजपा अपनी खुद की मुख्यमंत्री की दावेदारी मजबूत कर सकती है। बिहार हिंदी क्षेत्र का एकमात्र ऐसा राज्य है जहां अब तक भाजपा का मुख्यमंत्री नहीं बना है।

विपक्ष के लिए, खासकर कांग्रेस और INDIA गठबंधन के लिए, यह चुनाव एक और झटका साबित हो सकता है। लगातार चुनावी हारों के बीच राहुल गांधी के नेतृत्व को लेकर भी सवाल फिर खड़े होंगे।

कुल मिलाकर, एग्ज़िट पोल्स सिर्फ जीत-हार नहीं, बिहार की राजनीति के नए अध्याय का संकेत दे रहे हैं, जहां जाति से ज़्यादा नैरेटिव, और चेहरे से ज़्यादा भरोसा निर्णायक साबित हो रहा है।
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