11 वर्ष बाद बिटिया को मिला इंसाफ, दरिंदे को 20 वर्ष की सजा।
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। एक दुष्कर्म के मामले में 11 साल से इंसाफ की लड़ाई लड़ रही बिटिया को आखिरकार न्याय मिल ही गया। जुलाई 2015 को लोनी थानाक्षेत्र में भरत पाल ने आठ वर्षीय मासूम बच्ची से दुष्कर्म की वारदात को अंजाम दिया था। कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए आरोपित को दोषी करार देते हुए 20 वर्ष का कठोर कारावास और 50 हजार रुपये का जुर्माना की सजा सुनाई। दोषी को सजा दिलाने में अभियोजन पक्ष की अहम भूमिका रही। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
मासूम बच्ची के स्वजन ने इस मामले को लेकर लोनी थाने में 20 जुलाई 2015 को भरत पाल के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। पुलिस ने बच्ची का मेडिकल कराया था। मेडिकल में बच्ची के साथ यौन शोषण की पुष्टि हुई।। पुलिस ने विवेचना करने के बाद कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल कर दिया। तभी से कोर्ट में मामले की सुनवाई चल रही थी। सोमवार को कोर्ट में सजा को लेकर बहस हुई।
आरोपित पक्ष की ओर तीन अधिवक्ता जिरह के लिए उपस्थित हुए। वहीं अभियोजन पक्ष से अधिवक्ता संजीव बखरवा उपस्थित हुए। बचाव पक्ष के तीन अधिवक्ताओं ने अपने-अपने तर्क से आरोपित के बचाव दलीलें दीं। अधिवक्ता संजीव बखरवा ने सुबूत और गवाहों को आधार बनाते हुए जिरह की।
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जिला एवं सत्र न्यायाधीश दीपिका तिवारी ने सबूत और गवाहों के आधार पर भरत पाल को फाइव एम पाक्सो व अप्राकृतिक यौन शोषण के तहत 20 वर्ष की कठोर कारावास और 50 हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई। जुर्माना अदा नहीं करने पर दोषी को एक वर्ष का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। वहीं धारा 354 के लिए तीन वर्ष की सजा और 10 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई।
पीड़ित पक्ष ने नहीं किया समझौता
अधिवक्ता संजीव बखरवा ने बताया कि पीड़ित पक्ष को दोषी के परिवार की ओर केस को वापस लेने के लिए लाखों रुपये का लालच दिया गया। रसूख के जरिये उन्हें डराया गया लेकिन पीड़ित पक्ष ने समझौता नहीं किया। बेटी पीसीएस परीक्षा की तैयारी कर रही है। पीड़िता को अधिवक्ता आभा सिंह ने निश्शुल्क कानूनी सहायता उपलब्ध कराई।
बिटिया ने बताया कि वह न्याय के लिए रोज पूजा पाठ करती थी। नवरात्र में भी वह देवी की पूजा कर रही थी। कोर्ट ने सबूत के आधार दोषी को सजा सुनाई। - संजीव बखरवा, अधिवक्ता, अभियोजन पक्ष
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हसीन
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