पीएम मोदी और जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक। (X- @narendramodi)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत ने बुधवार को भूटान की 13वीं पंचवर्षीय योजना के प्रति अपने अडिग समर्थन की पुष्टि की। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पूर्व नरेश जिग्मे सिंग्ये वांगचुक के साथ वार्ता की और वैश्विक शांति प्रार्थना महोत्सव के तहत आयोजित कालचक्र दीक्षा समारोह में भूटान के नेतृत्व के साथ शामिल हुए। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
बैठक के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने भारत-भूटान संबंधों को और प्रगाढ़ करने में सिंग्ये के योगदान की सराहना की। उन्होंने बताया कि वार्ता ऊर्जा, व्यापार, प्रौद्योगिकी और कनेक्टिविटी के क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग पर केंद्रित रही।
प्रधानमंत्री ने इंटरनेट मीडिया पर एक पोस्ट में कहा, \“ऊर्जा, व्यापार, प्रौद्योगिकी और कनेक्टिविटी में सहयोग पर चर्चा की। नई शहर परियोजना गेलेफू में प्रगति की सराहना की, जो हमारी एक्ट ईस्ट नीति के अनुरूप है।\“ इससे पहले सुबह कालचक्र दीक्षा समारोह का उद्घाटन किया, जिसमें भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक और सिंग्ये समेत शीर्ष भूटानी नेतृत्व ने हिस्सा लिया।
प्रधानमंत्री ने एक्स पर कहा, \“यह एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है, जिसका बौद्ध समुदाय के लिए विश्वभर में अत्यंत सांस्कृतिक महत्व है। कालचक्र एंपावरमेंट वैश्विक शांति प्रार्थना उत्सव का हिस्सा है, जो भूटान में बौद्ध श्रद्धालुओं और विद्वानों को एक साथ लाया है।\“
नई दिल्ली रवाना होने से पहले पीएम मोदी ने कहा कि ऊर्जा, स्वास्थ्य सेवा और कनेक्टिविटी जैसे क्षेत्रों में उनकी यात्रा के परिणाम हमारी द्विपक्षीय साझेदारी को गति प्रदान करेंगे। भूटान नरेश प्रधानमंत्री मोदी को एयरपोर्ट पर विदा करने आए।
मोदी की दो दिवसीय भूटान यात्रा समाप्त होने पर विदेश मंत्रालय ने कहा कि प्रधानमंत्री ने आर्थिक प्रोत्साहन कार्यक्रम समेत भूटान की 13वीं पंचवर्षीय योजना (2024-2029) के प्रति भारत के अटूट समर्थन की पुष्टि की।
(समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ) |