बच्चों व किशोरों को ढाल बनाकर आगे बढ़ाता रहा मौलाना। जागरण
जागरण संवाददाता, बरेली । शहर के उपद्रव में मौलाना तौकीर ने हर बार बच्चों और किशोरों को ढाल बनाया। इसका कारण यह है कि बच्चों व किशोरों का ब्रेनवाश करना बड़ों की तुलना में काफी आसान होता है। एक दो बार कोई बात उन्हें बताओ तो वह उसी पर चलते हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
मौलाना ने इसी का फायदा उठाया और उन्हें ढाल बनाकर आगे बढ़ता रहा, इस बार भी उसने ऐसा ही करने का प्रयास किया, मगर योगी राज में वो ढाल टूट गई और आखिरकार मौलाना को सलाखों के पीछे जाना ही पड़ा। पुलिस के मुताबिक, वर्ष 2010 के दंगों में सबसे ज्यादा उत्पाद किशोरों ने ही मचाया। दंगे की शुरूआत में उन्होंने लोगों के घर फूंके, लूट की और तमाम बेगुनाहों के साथ मारपीट की, मगर किशोरों की वजह से पुलिस के हाथ भी बंधे थे।
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कठोर कार्रवाई नहीं कर पा रही थी पुलिस
उन पर एक साथ कठोर कार्रवाई नहीं कर पा रही थी। मौलाना इस बात को जानता था कि भीड़ में अगर बच्चे, किशोर आगे होंगे तो उनकी आड़ में असल दंगई अपने काम को बेहतर अंजाम दे सकते हैं, इसलिए हर बार उपद्रव में उसने इसी पैटर्न को अपनाया।
इस बार यह खेल उल्टा हो गया। भीड़ ने जब पुलिस पर जानलेवा हमला किया तो पुलिस ने लाठीचार्ज कर भीड़ को खदेड़ दिया। पुलिस ने उपद्रवियों पर प्राथमिकी लिखाई और जेल भेजना शुरू कर दिया। अब तक मौलाना समेत करीब 27 लोगों को जेल भेजा जा चुका है।
बच्चों को ढाल बनाने के पीछे क्या कारण मनोचिकित्सक डा. आशीष बताते हैं कि बच्चों व किशोरों में इंप्लसविटी व दूरगामी दुष्प्रभाव की क्षमता व इमोशनल इंटेलीजेंस की कमी से उनका ध्यान भ्रामक तत्वों की तरफ ज्यादा आ र्षिकत होता है। यही वजह है कि बच्चे किसी भी बात में आसानी से आ जाते हैं। यह न्यूरो साइकिलोजिकल स्टडी में भी पाया गया है।
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