वाट्सएप को डाटा शेयरिंग मामले में आंशिक राहत, 213 करोड़ की पेनाल्टी बरकरार (फाइल फोटो)
पीटीआई, नई दिल्ली। नेशनल कंपनी ला अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी- एनक्लैट) ने मंगलवार को वाट्सएप और मेटा प्लेटफार्म से जुड़े मामले में प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआइ) के आदेश को आंशिक रूप से पलटते हुए बड़ी राहत दी।
ट्रिब्यूनल ने सीसीआइ द्वारा वाट्सएप पर पांच साल तक उपयोगकर्ता डाटा मेटा के साथ साझा करने पर लगाई गई रोक को हटा दिया, लेकिन 213.14 करोड़ का जुर्माना बरकरार रखा। मेटा ने एनक्लैट के फैसले का स्वागत किया है।
यह मामला 2021 की वाट्सएप गोपनीयता नीति से संबंधित है, जिसमें डाटा शेयरिंग को लेकर विवाद उत्पन्न हुआ था। एनक्लैट ने कहा कि वाट्सएप की 2021 की गोपनीयता नीति \“प्रभुत्व के दुरुपयोग\“ का मामला है, क्योंकि कंपनी ने अपने यूजर्स पर \“टेक इट आर लीव इट\“ शर्तें थोप दीं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
ट्रिब्यूनल ने कहा, “विस्तृत और अस्पष्ट डेटा शेय¨रग शर्तों की अनिवार्य स्वीकृति जबरदस्ती और अनुचित है,\“\“ जो प्रतिस्पर्धा अधिनियम की धारा 4(2)(ए)(आइ) का उल्लंघन करती है।
ट्रिब्यूनल ने अपने 184 पन्नों के आदेश में कहा कि वाट्सएप और मेटा के बीच डेटा शेयरिंग ने डिजिटल विज्ञापन बाजार में प्रतिस्पर्धा को बाधित किया और नए खिलाडि़यों के लिए प्रवेश अवरोध पैदा किया। हालांकि, एनक्लैट ने यह भी स्पष्ट किया कि सीसीआइ द्वारा धारा 4(2)(ई) के तहत लगाए गए “प्रभुत्व हस्तांतरण\“\“ के आरोप टिकाऊ नहीं हैं, क्योंकि वाट्सएप और मेटा अलग-अलग कानूनी संस्थाएं हैं।
एनक्लैट के अध्यक्ष न्यायमूर्ति अशोक भूषण और सदस्य अरुण बरोका की पीठ ने कहा, “सीसीआइ का यह निर्देश कि वाट्सएप पांच वर्षों तक मेटा के साथ विज्ञापन उद्देश्यों के लिए डेटा साझा नहीं करेगा, टिकाऊ नहीं है और इसे रद किया जाता है। शेष आदेश को बरकरार रखा गया है।\“\“
मेटा के प्रवक्ता ने फैसले पर कहा, “हम एनक्लैट के निर्णय का स्वागत करते हैं। हमारी 2021 की प्राइवेसी नीति ने लोगों के निजी संदेशों की गोपनीयता को नहीं बदला, जो अब भी एंड-टू-एंड एन्कि्रप्टेड हैं।\“\“
ट्रिब्यूनल ने यह भी माना कि भले ही मेटा \“\“ऑनलाइन डिस्प्ले विज्ञापन बाजार\“\“ में प्रमुख नहीं है, लेकिन वाट्सएप के साथ अत्यधिक डेटा साझाकरण से प्रतिस्पर्धा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। एनक्लैट ने कहा कि जुर्माने की गणना में सीसीआइ द्वारा अपनाई गई पद्धति में कोई त्रुटि नहीं है, इसलिए 213.14 करोड़ का दंड यथावत रहेगा। |