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बिहार के छात्रों से भर गईं गोरखपुर विश्वविद्यालय के कॉलेजों की बीएड सीटें, ऐसे बदल गया प्रवेश का आंकड़ा_deltin51

Chikheang 2025-9-27 21:36:37 views 989

  बिहार के छात्रों से भर गईं गोवि के कालेजों की बीएड सीटें





जागरण संवाददाता, गोरखपुर। बीएड की प्रदेश स्तरीय काउंसिलिंग की प्रक्रिया पूरी होने के बाद प्रवेश को तरह रहे स्व-वित्तपोषित काॅलेजों सीट भरने की मंशा पूरी हो गई है। सीधे प्रवेश लेने की छूट मिलते ही दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय से संबद्ध 95 कालेजों में से 91 की सभी सीटें भर गई है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

8300 सीटों के सापेक्ष केवल 126 सीटें ही खाली रह गई हैं। कालेजों की सीट भरने की मंशा बिहार के छात्रों ने पूरी की है। इसलिए कि प्रवेश लेने वाले अधिकतम छात्र बिहार के हैं, जो बाध्यता की वजह से प्रदेश स्तरीय काउंसिलिंग का हिस्सा नहीं बन सके थे जबकि बीएड प्रवेश के लिए फार्म भरने वालों की इनकी संख्या का प्रतिशत 60 के आसपास था।



प्रदेश स्तरीय काउंसिलिंग प्रक्रिया पूरी होने के बाद दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय व उससे संबद्ध वित्तपोषित काॅलेजों की सभी सीटें तो भर गई थीं, लेकिन स्व-वित्तपोषित काॅलेजों में प्रवेश को लेकर सूखा रह गया। स्थिति यह थी कि 12 काॅलेजों में एक भी छात्र को प्रवेश नहीं मिला, जबकि 41 काॅलेज ऐसे थे, जो प्रवेश का दहाई आंकड़ा भी पार नहीं कर सके थे।

प्रवेश की खराब स्थिति को देखते हुए कई काॅलेज प्रबंधन तो बीएड पाठ्यक्रम संचालित न करने की योजना बनाने लगे थे। लेकिन जैसे ही काॅलेजों को सीधे प्रवेश लेने की छूट मिली तो गोरखपुर विश्वविद्यालय से संबद्ध स्व-वित्तपोषित काॅलेजोंं को बिहार का पड़ोसी होने का फायदा मिला और पड़ोसी राज्य के छात्रों की प्रवेश के लिए होड़ लग गई।



इसी का नतीजा रहा कि सीधे प्रवेश के लिए निर्धारित 26 सितंबर की अंतिम तिथि तक 95 में से 91 काॅलेजों की सभी बीएड सीटेंं भर गईं। इतना नहीं 73 छात्रों ने ईडब्लूएस कोटे से भी प्रवेश ले लिया। प्रवेश की वर्तमान स्थिति से निराश बीएड कॉलेज प्रबंधन में उत्साह है।

अन्य प्रदेश के छात्रों के लिए यूपी में प्रवेश की यह बाध्यता

नियम के अनुसार प्रदेश स्तरीय काउंसिलिंग प्रक्रिया में अन्य प्रदेश छात्रों को प्रवेश का सीमित अवसर दिया जाता है। एक कालेज को अधिकतम चार छात्रों को प्रवेश लेने की अनुमति होती है। लेकिन यह बाध्यता सीधे प्रवेश लेने की अनुमति देने के साथ ही समाप्त हो जाती है।chitrakoot-general,UP News, Banda News, UP Latest News, traditional wooden toys,chitrakoot wooden toys,up international trade show,one district one product,odop scheme,msme scheme,indian handicrafts,local artisans,narendra modi,afdsfdsfs,Uttar Pradesh news   



यही कारण है कि सीधे प्रवेश लेने की छूट मिलते ही विश्वविद्यालय के बीएड कालेजों को भारी संख्या में बिहार के बिहार के छात्र मिल गए। जानकारी के मुताबिक इस बार बीएड में प्रवेश में आवेदन करने वालों में 60 प्रतिशत संख्या बिहार के छात्रों की थी।

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सीधे प्रवेश शुरू होने से पहले स्व-वित्तपोषित कालेज के प्रबंधक प्रवेश की स्थिति को लेकर काफी निराश थे। सीट भरना तो दूर प्रवेश को लेकर बेहतर स्थित होने की उम्मीद भी खो चुके थे। सीधे प्रवेश के लिए काउंसिलिंग शुरू होने बाद अचानक बिहार के छात्रों का रुझान दिखा और देखते ही देखते ज्यादातर कालेजों की सीटें भर गईं। अब सभी बीएड कालेज प्रबंधन पाठ्यक्रम को संचालित करने को लेकर उत्साहित हैं। बिहार में माध्यमिक शिक्षा में निरंतर भर्ती होने के चलते वहां बीएड की मांग अभी भी बनी हुई है। कालेजों को इसी का फायदा मिला है।



-डा. सुधीर कुमार राय, महामंत्री

स्व-वित्तपोषित महाविद्यालय प्रबंधक महासभा




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