आठवें केंद्रीय वित्त आयोग -पेंशन राशिकरण की अवधि
राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊ: पेंशन राशिकरण की अवधि कितनी हो यह प्रकरण आठवें केंद्रीय वित्त आयोग को भेजा जाएगा। केंद्रीय वित्त आयोग के निर्णय पर केंद्र सरकार जो भी निर्णय लेगी राज्य सरकार उसे मानेगी। यह संस्तुतियां शासन द्वारा राशिकरण कटौती अवधि पर सुनवाई करने के लिए गठित वित्त विभाग की समिति ने की है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
गौरतलब है कि दो हजार से अधिक पेंशनर्स ने पेंशन राशिकरण की कटौती 15 साल से कम किए जाने के लिए हाईकोर्ट में याचिकाएं दायर कर रखा है। वित्त विभाग द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि समिति का मत यह है कि राज्य सरकार द्वारा इसे आठवें केंद्रीय वेतन आयोग को भेज दिया जाए।
वेतन आयोग की संस्तुतियों पर केंद्र सरकार का जो निर्णय लिया जाए उसी के आधार पर प्रदेश सरकार का निर्णय लेना उचित रहेगा। इस बीच वर्तमान व्यवस्था यथावत रहेगी। जिसके आधार पर पेंशन राशिकरण कटौती की अवधि कम किए जाने से संबंधित प्रकरणों को निस्तारित किए जाने की संस्तुति की गई है।
आदेश में निदेशक पेंशन को निर्देशित किया गया है कि वह मुख्य स्थायी अधिवक्ता उच्च न्यायालय से संपर्क कर राशिकरण के पुनर्स्थापन के संबंध में दायर समस्त रिट याचिकाओं में जरूरी कार्यवाही करें। उत्तर प्रदेश पेंशनर्स कल्याण संस्था के महामंत्री ओंकार नाथ तिवारी तथा उपाध्यक्ष गोपी कृष्ण श्रीवास्तव ने पेंशन राशिकरण की कटौती अवधि के पुनर्स्थापन विषयक प्रकरण आठवें वेतन आयोग को संदर्भित किए जाने पर असंतोष व्यक्त किया है।
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गौरतलब है कि सेवानिवृत्ति के बाद कर्मचारियों को पेंशन राशिकरण के तहत पेंशन की 40 प्रतिशत धनराशि राज्य सरकार एकमुश्त देती है। इस धनराशि की वसूली राज्य सरकार 15 साल तक हर महीने किश्तों के रूप में कटौती करके की जाती है। पेंशनरों का तर्क है कि राशिकरण की जो धनराशि एकमुश्त उन्हें दी जाती है उसकी भरपाई दस वर्ष 11 महीने की कटौती से हो जाती है। सरकार चार वर्ष एक महीने अतिरिक्त धनराशि कटौती के माध्यम से ले रही है।
आठवां वेतन आयोग 1 जनवरी 2026 से लागू होने की उम्मीद है, जिसके बाद केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के वेतन, भत्ते और पेंशन में संशोधन किया जाएगा। इस आयोग की घोषणा कैबिनेट ने कर दी है, लेकिन अभी इसके अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति और कार्यक्षेत्र तय होना बाकी है।
इसका मुख्य उद्देश्य मुद्रास्फीति के प्रभाव को कम करना और सरकारी कर्मचारियों को उचित मुआवज़ा सुनिश्चित करना है।
इसके लागू होने की प्रस्तावित तिथि एक जनवरी 2026 है। इसके लागू होने से लगभग 50 लाख केंद्र सरकार के कर्मचारियों और 65 लाख पेंशनभोगियों को लाभ मिलने की उम्मीद है। आयोग के सुझावों में वेतन वृद्धि, नए भत्ते और पेंशन में संशोधन शामिल हो सकते हैं। विशेषज्ञों का अनुमान है कि फिटमेंट फैक्टर 1.83 से 2.46 के बीच रह सकता है। आयोग के औपचारिक गठन के बाद यह अपनी कार्यदिशा के अनुसार काम शुरू करेगा। सिफारिशें आने के बाद ही पता चलेगा कि न्यूनतम बेसिक सैलरी कितनी बढ़ सकती है।
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