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Akhilesh Dubey Case: अखिलेश, लवी, शैलेद्र के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल, नौ को तलब_deltin51

Chikheang 2025-9-27 05:36:36 views 1239

  अखिलेश और उसका सहयोगी कास्मोजिन लांज एंड डिस्क के पार्टनर लवी मिश्रा।





जागरण संवाददाता, कानपुर। भाजपा नेता रवि सतीजा पर झूठा दुष्कर्म और पाक्सो एक्ट का मुकदमा दर्ज कराकर रंगदारी मांगने में अधिवक्ता अखिलेश दुबे, उसके सहयोगी आयुष मिश्रा उर्फ लवी और शैलेंद्र यादव उर्फ टोनू यादव के खिलाफ विवेचक ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सूरज मिश्रा की कोर्ट में आरोपपत्र दाखिल कर दी है। कोर्ट ने तीनों को आरोपपत्र की नकलें देने के लिए नौ अक्टूबर को तलब किया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

बर्रा थानाक्षेत्र के जूही कलां स्थित सोना मेंशन निवासी भाजपा नेता रवि सतीजा ने अखिलेश दुबे पर दुष्कर्म और पाक्सो एक्ट के झूठे मुकदमे में फंसाकर 50 लाख रुपये की रंगदारी मांगने का आरोप लगाकर पुलिस आयुक्त से शिकायत की थी। आरोप था कि अखिलेश ने सहयोगी कास्मोजिन लांज एंड डिस्क के पार्टनर लवी मिश्रा, विमल यादव, शैलेंद्र यादव उर्फ टोनू, अभिषेक बाजपेई और उसकी करीबी दो बहनों के जरिए उन पर दुष्कर्म और पाक्सो एक्ट की झूठी रिपोर्ट दर्ज कराई थी। हालांकि जांच में मामला झूठा पाए जाने पर पुलिस ने उनके पक्ष में फाइनल रिपोर्ट लगा दी थी।

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इस पर पुलिस आयुक्त ने मामले की जांच एसआइटी को दी थी। जांच के बाद आरोपितों के खिलाफ बर्रा थाने में मुकदमा दर्ज कर पुलिस ने अखिलेश दुबे, उसके सहयोगी लवी मिश्रा और शैलेंद्र यादव को गिरफ्तार किया था। विवेचक ने शुक्रवार को तीनों के खिलाफ कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल कर दिया है।
ढाई करोड़ की रंगदारी मांगने के आरोपित को सशर्त जमानत



इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ढाई करोड़ रुपये की रंगदारी मांगने के आरोपित लवी मिश्र उर्फ आयुष मिश्र की सशर्त जमानत मंजूर कर ली है। यह आदेश न्यायमूर्ति डा. गौतम चौधरी ने दिया है। याची का कहना था कि सह अभियुक्त अखिलेश ने नाबालिग से दुष्कर्म के आरोप में एफआइआर दर्ज कराई थी। दबाव बनाने के लिए तीन साल बाद कानपुर के किदवई नगर थाने में यह झूठी एफआइआर दर्ज कराई गई है। उसे झूठा फंसाया गया है। सह अभियुक्त की विशेष भूमिका बताई गई है। याची का कोई रोल नहीं है। वह इस प्रकरण में 18 अगस्त 2025 से कारागार में निरुद्ध है और विवेचना में सहयोग के लिए तैयार है। कोर्ट ने आरोप की प्रकृति, साक्ष्य अन्य तथ्यों पर विचार करते हुए याची को जमानत पाने का हकदार माना।  



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