जागरण संवाददाता, गुमला। उपभोक्ताओं को गलत जानकारी और भ्रामक प्रचार से बचाने के उद्देश्य से बुधवार को अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी (एसीएमओ) धनुर्जय सुंब्रई की अध्यक्षता में चेंबर ऑफ कॉमर्स के सदस्यों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की गई।
बैठक में भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI), नई दिल्ली एवं राज्य खाद्य सुरक्षा आयुक्त कार्यालय, नामकुम, रांची द्वारा जारी नवीन निर्देशों की जानकारी दी गई।
मीठे पेय पदार्थों को ओआरएस बताकर बेचना गलत
बैठक में बताया गया कि कुछ कंपनियां अपने मीठे पेय पदार्थों को “ओआरएस” (Oral Rehydration Solution) के नाम से बाजार में बेचकर उपभोक्ताओं को भ्रमित कर रही हैं। वास्तव में ओआरएस एक चिकित्सकीय घोल होता है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
इसमें नमक और चीनी का वैज्ञानिक रूप से निर्धारित अनुपात रहता है। यह घोल शरीर में पानी और इलेक्ट्रोलाइट की कमी को पूरा करने के लिए बनाया जाता है और इसका स्वरूप विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा अनुमोदित होता है।
ओआरएस शब्द के इस्तेमाल पर पूर्ण प्रतिबंध
अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि किसी भी खाद्य या पेय उत्पाद के नाम, ब्रांड या लेबल में “ओआरएस” शब्द का उपयोग प्रतिबंधित है। यदि कोई कंपनी या विक्रेता इस नियम का उल्लंघन करता पाया गया, तो उसके खिलाफ जुर्माना और कानूनी कार्रवाई की जाएगी। यह कदम उपभोक्ताओं को गुमराह करने वाले उत्पादों पर रोक लगाने और बाजार में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से उठाया गया है।
व्यापारियों से अपील, नियमों का पालन करें
एसीएमओ धनुर्जय सुंब्रई ने सभी व्यापारियों से अपील की कि वे इन निर्देशों का सख्ती से पालन करें और ऐसे किसी भी उत्पाद की बिक्री से बचें जो भ्रामक या गलत जानकारी के साथ बाजार में उतारा गया हो।
उन्होंने कहा कि उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य एवं अधिकारों की सुरक्षा जिला प्रशासन की सर्वोच्च प्राथमिकता है। यदि किसी स्तर पर उल्लंघन पाया गया, तो प्रशासन सख्त रुख अपनाएगा और दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी।
उपभोक्ताओं को सतर्क रहने की सलाह
स्वास्थ्य विभाग ने आम उपभोक्ताओं को भी सतर्क रहने की सलाह दी है। यदि कोई पेय या उत्पाद “ओआरएस” नाम से बाजार में बिकता दिखाई दे, तो उसकी जानकारी तत्काल खाद्य सुरक्षा विभाग या स्थानीय प्रशासन को दें। वास्तविक ओआरएस केवल चिकित्सकीय उपयोग के लिए अनुमोदित स्वरूप में ही उपलब्ध होता है। |