अजय कुमार, उत्तरकाशी। धराली आपदा के बाद यह एक यक्ष प्रश्न है कि आपदा का कारण बनने वाला मलबा हटाया जाएगा या नहीं। सिंचाई विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इसके लिए हाल में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) रुड़की व राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान (एनआइएच) के विज्ञानियों की टीम से धराली क्षेत्र का सर्वेक्षण कराया गया था। उनकी रिपोर्ट पर ही धराली में मलबा निस्तारण व सुरक्षात्मक कार्य किए जाएंगे। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
बता दें कि बीते पांच अगस्त को खीरगंगा नदी में आई विनाशकारी बाढ़ के चलते बड़े पैमाने पर मलबा आया था। पानी व मलबे के सैलाब के कारण ही कभी धराली कस्बे की रौनक रहे होटल, दुकानें व आवासीय भवन आदि सब ताश के पत्तों की तरह ढह गए थे।
कभी धराली की पहचान रहा प्राचीन कल्पकेदार मंदिर भी मलबे में दबा हुआ है। एक अनुमान के अनुसार यहां करीब 50 से 60 मीटर तक कई मीट्रिक टन मलबा पसरा हुआ है। आपदा के बाद यहां सर्च एंड रेस्क्यू से जुड़ी एजेंसियों सेना, आइटीबीपी, एनडीआरएफ व एसडीआरएफ ने भी मलबे के ऊपर के क्षेत्र को चार सेक्टरों में बांटकर विभिन्न अत्याधुनिक उपकरणों की मदद से मलबे में दबे लोगों की खोजबीन की थी।
हालांकि, किसी का कुछ पता नहीं चल पाया। अब सबकी जुबान पर यही सवाल है कि आपदा में आए इस मलबे का आखिर क्या होगा। यह हटाया जाएगा भी या इसे जस का तस छोड़ दिया जाएगा।
सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता सचिन सिंघल का कहना है कि इसके लिए हाल में आइआइटी रुड़की व एनआइएच के विज्ञानियों के एक दल ने धराली का सर्वे किया था, उनकी रिपोर्ट के बाद ही यह तय किया जाएगा कि मलबे का निस्तारण किस तरह किया जाएगा।
बताया कि रिपोर्ट के साथ उक्त संस्थान ही मलबा निस्तारण के साथ सुरक्षात्मक कार्य की विस्तृत कार्य योजना भी प्रस्तुत करेंगे। बतातें चलें कि धराली आपदा में आज भी 50 से अधिक लोग लापता हैं। इनमें स्थानीय लोगों की संख्या जहां आठ है। वहीं, धराली में काम करने वाले नेपाली मूल के श्रमिकों सहित विभिन्न राज्यों के लोग लापता सूची में हैं। |