जागरण संवाददाता, दक्षिणी दिल्ली। नींद में आने वाले खर्राटे खतरनाक हो सकते हैं। स्लीप एपनिया (नींद में सांस रुकने की समस्या) स्ट्रोक के जोखिम को दो से चार गुना तक बढ़ा देती है। सर्दियों में ऐसे केस ज्यादा आते हैं। आमतौर पर लोग इसे सामान्य खर्राटे समझकर नजरअंदाज कर देते हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें  
 
वर्ल्ड स्ट्रोक डे (29 अक्टूबर) के अवसर पर बात करते हुए यथार्थ हॉस्पिटल, मॉडल टाउन के न्यूरोलाजी विभाग के सीनियर कंसल्टेंट एवं एचओडी डॉ. रजत चोपड़ा ने कहा कि दरअसल, स्लीप एपनिया के कारण ब्लड प्रेशर बढ़ता है। दिल की धड़कनें असामान्य होती हैं और शरीर में सूजन की समस्या बढ़ जाती है। ये सभी बातें मिलकर दिमाग की खून की नलियों पर दबाव डालती हैं, जिससे स्ट्रोक का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।  
 
उन्होंने कहा कि अगर लोग समय रहते इसकी जांच कराएं और इलाज शुरू करें, तो स्ट्रोक जैसी गंभीर स्थिति से बचाव संभव है। न्यूरो सर्जरी विभागाध्यक्ष व निदेशक डॉ. सुनील कुमार बरनवाल ने बताया कि चेहरे का टेढ़ा होना, हाथ या पैर में कमजोरी, बोलने में परेशानी जैसे ही ये लक्षण किसी व्यक्ति में अगर दिखे तो उसे तुरंत अस्पताल पहुंचाएं। शुरुआती 4.5 घंटे के भीतर इलाज मिलने पर मरीज की जान बचाई जा सकती है और स्थायी नुकसान से बचाव भी संभव है।  
 
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इन बातों का ध्यान रखकर स्ट्रोक का जोखिम करें कम  
  
 - वजन को नियंत्रित करें। 
 
  - जीवनशैली में बदलाव-जैसे स्वस्थ भोजन, नियमित व्यायाम, धूम्रपान और शराब से परहेज करें। 
 
  - नियमित चिकित्सा जांच कराएं। 
 
  - उच्च रक्तचाप और कोलेस्ट्राल को नियंत्रित रखें। 
 
  - कम नमक और कम संतृप्त वसा वाला आहार लें। 
 
  - फल, सब्जियां और साबुत अनाज खाएं। 
 
  - नियमित व्यायाम करें (तेज चलना या तैराकी)। 
 
  - तनाव कम करने के लिए पर्याप्त नींद लें। 
 
  - योग या ध्यान करें। 
 
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