क्यों चर्चा में हैं सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक?
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अभिनेता आमिर खान की 2009 में एक फिल्म आई थी थ्री इडियट्स, जिसमें उन्होंने फुंसुक वांगड़ू नाम का किरदार निभाया था। यह किरदार नई सोच, इनोवेशन और पर्यावरण से लगाव रखने के लिए बेहद मशहूर हुआ था। आमिर खान का ये कैरेक्टर लद्दाख के शिक्षाविद और पर्यावरणविद सोनम वांगचुक से प्रेरित था, जो इन दिनों चर्चा में हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
दरअसल, केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के लिए पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर चल रहा आंदोलन हिंसक हो गया, जिसमें चार लोगों की जान चली गई। हालात पर काबू पाने के लिए कर्फ्यू लगाना पड़ा। सरकार ने इस हिंसा के लिए सोनम वांगचुक को जिम्मेदार ठहाराया है। उनके एनजीओ का एफसीआरए लाइसेंस रद कर दिया गया और एनएसए के तहत उनकी गिरफ्तारी भी हो गई। तो आइए जानते हैं उनके बारे में...
कौन हैं सोनम वांगचुक
बेहद साधारण जीवनशैली अपनाने वाले सोनम वांगचुक का जन्म 1 सितंबर, 1966 को लेह में हुआ था। उनके पिता का नाम सोनम वांग्याल और मां का नाम तेजरिंग वांगमो है। उनके पिता राज्य सरकार में मंत्री भी रहे थे। जन्म से समय उनके गांव में को कोई स्कूल नहीं था, ऐसे में 9 साल की उम्र तक सोनम की मां ने लद्दाखी भाषा में पढ़ाया। बाद में उन्होंने श्रीनगर के एनआईटी से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की।
इंजीनियरिंग के दौरान ही वह बच्चों को पढ़ाने भी लगे तो उन्हें सरकारी शिक्षा की कमियों का पता चला। इसके बाद उन्होंने इसमें सुधार के लिए ऑपरेशन न्यू होप शुरू किया। फिर 1988 में शैक्षिक सांस्कृतिक आंदोलन एसईसीएमओएल शुरू किया। साथ ही पहाड़ी इलाकों में पर्यावरण के अनुकूल घर डिजायन किए।
कौन हैं सोनम की जीवनसाथी
सोनम वांगचुक ने गीतांजलि जे. आंगमो से शादी की है, जिन्हें प्यार से लोग गीतांजलि जेबी भी कहते हैं। वह एक आंत्रप्रेन्योर और शिक्षाविद हैं। गीतांजलि ने अपने करियर की शुरुआत इंटरनेशनल डेवलेपमेंट एंड सस्टेनेबल लिविंग के क्षेत्र से की। सोनम और गीतांजलि ने मिलकर लद्दाख में हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स (एचआईएलएल) की स्थापना की।Bitter taste in mouth causes, Why my mouth tastes bitter, Reasons for bitter taste in mouth, Persistent bitter taste in mouth, 9 causes of bitter taste, Bitter taste in mouth without fever, 9 reasons for metallic taste in mouth, Home remedies for bitter taste in mouth,
प्रकृति से रहा गहरा लगाव
सोनम को प्रकृति और पर्यावरण से बेहद लगाव रहा। उन्होंने अपना घर बनाने के लिए स्थानीय मिट्टी, पत्थर और लकड़ी का इस्तेमाल किया। उन्होंने अपने घर में सोलर हीटिंग सिस्टम और इंसुलेटेड मिट्टी और पत्थर का इस तरह से इस्तेमाल किया है कि माइनस 30 डिग्री सेल्सियस में भी उनका घर गर्म बना रहता है।
इतना ही नहीं उन्होंने अपने घर बगीचे को छोटे वर्कशॉप, सौर ऊर्जा और वाटर मैनेजमेंट के प्रोजेक्ट को लाइव डेमो के रूप में दिखाने के तौर पर विकसित कर रखा है।
सीख डालीं 9 भाषाएं
सोनम वांगचुक ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया था कि बचपन में उन्हें अन्य भाषाओं की जानकारी नहीं थी और इस कारण से बाद में कई भाषाएं सीखने की ललक लगी और 9 भाषाएं सीख लीं। इन सभी भाषाओं को वो अच्छी तरह से समझ और बोल सकते हैं। सोनम ने विज्ञान और गणित जैसे विषयों को भी लद्दाखी भाषा में पढ़ाने की मुहिम भी शुरू की।
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