संवेदनशील मामलों में दिन-प्रतिदिन सुनवाई की प्रथा पर लौटें अदालतें, सुप्रीम कोर्ट ने दिए फास्ट ट्रायल के लिए निर्देश

Chikheang 2025-9-26 07:06:33 views 1100
  संवेदनशील मामलों में दिन-प्रतिदिन सुनवाई की प्रथा पर लौटें अदालतें





डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि दिन-प्रतिदिन की सुनवाई की प्रथा, विशेष रूप से संवेदनशील मामलों में, को पूरी तरह से खत्म कर दिया गया है। अदालतों को इसे पुन: अपनाना चाहिए। कोर्ट ने त्वरित सुनवाई के अधिकार को संविधान के अनुच्छेद-21 में अंतर्निहित मानते हुए कहा कि सभी हाई कोर्टों को संबंधित जिला अदालतों के लाभ के लिए इस मुद्दे पर गंभीरता से चर्चा करने के वास्ते एक समिति गठित करनी चाहिए। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें



जस्टिस जेबी पार्डीवाला और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि दिन-प्रतिदिन के आधार पर सुनवाई करने की पुरानी प्रथा पर लौटने के लिए, पुलिस के कामकाज के तरीके सहित वर्तमान सामाजिक, राजनीतिक और प्रशासनिक परिदृश्य को समझना आवश्यक है। शीर्ष अदालत का यह आदेश सीबीआइ की उस याचिका पर आया है, जिसमें पिछले वर्ष सितंबर में दुष्कर्म के मामले में कलकत्ता हाई कोर्ट द्वारा एक आरोपित को जमानत देने के आदेश को चुनौती दी गई थी।


आपराधिक मुकदमों की निरंतर सुनवाई न करना न्याय में देरी का कारण- कोर्ट

पीठ ने कहा कि न्याय प्रणाली में देरी के लिए जिम्मेदार प्रमुख कारकों में से एक है आपराधिक मुकदमों की निरंतर सुनवाई न करना। पीठ ने कहा कि ऐसे मामलों में भी अदालतें विवेकाधिकार का इस्तेमाल करके साक्ष्यों पर \“टुकड़ों में\“ विचार करती हैं और मामले प्रभावी रूप से कई महीनों या वर्षों तक चलते रहते हैं।Permanent Commission,Women Officers,Short Service Commission,Supreme Court,Indian Army,Babita Puniya case,Nitisha case,Aishwarya Bhati,Military Law,Gender Equality in Army
\“अदालत को दिन-प्रतिदिन सुनवाई जारी रखनी चाहिए\“

पीठ ने कहा कि कानूनी स्थिति यह है कि एक बार गवाहों के बयान के बाद संबंधित अदालत को दिन-प्रतिदिन सुनवाई जारी रखनी चाहिए, जब तक कि सभी गवाहों के बयान न हो जाए, सिवाय उन गवाहों के जिन्हें सरकारी वकील ने छोड़ दिया हो।



पीठ ने कहा कि हाई कोर्टों के मुख्य न्यायाधीश अपने प्रशासनिक पक्ष को संबंधित जिला न्यायपालिकाओं को एक परिपत्र जारी करने का निर्देश दे सकते हैं, जिसमें अन्य बातों के अलावा इस बात का भी जिक्र किया गया हो कि प्रत्येक जांच या सुनवाई शीघ्रता से की जानी चाहिए। पीठ ने कहा कि मामले की सुनवाई 31 दिसंबर तक पूरी की जाए।

(समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)



यह भी पढ़ें- \“अदालतें वसूली के लिए रिकवरी एजेंट नहीं\“, SC ने किस मामले में की सख्त टिप्पणी?
like (0)
ChikheangForum Veteran

Post a reply

loginto write comments
Chikheang

He hasn't introduced himself yet.

410K

Threads

0

Posts

1410K

Credits

Forum Veteran

Credits
142684

Get jili slot free 100 online Gambling and more profitable chanced casino at www.deltin51.com