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सबसे ज्यादा चावल निर्यात करने वाले देश, भारत का कौन सा नंबर; सऊदी-ईरान-इराक बड़े खरीदार

deltin33 2025-10-22 14:36:59 views 774

  

सऊदी अरब, ईरान और इराक जैसे देश भारत से खरीदते हैं चावल



नई दिल्ली। चावल भारत का एक प्रमुख कृषि उत्पाद है, जिसका निर्यात देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान करता है। चावल निर्यात से देश को विदेशी मुद्रा मिलती है, जिससे अर्थव्यवस्था मजबूत होती है। भारत सरकार ने चावल निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कई नीतियों और योजनाओं को लागू किया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

इससे किसानों को भी लाभ होता है और उनकी आय में वृद्धि होती है। चावल निर्यात (Rice Export From India) भारत के आर्थिक विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पर दुनिया में सबसे अधिक चावल का निर्यात कौन करता है, आइए जानते हैं।
भारत चावल निर्यात में नंबर 1

2024 में भारत ने दुनिया भर में सबसे ज्यादा चावल एक्सपोर्ट किया, जो 22 मिलियन मीट्रिक टन रहा। थाईलैंड दूसरा सबसे बड़ा चावल एक्सपोर्टर रहा, जिसने उस साल दुनिया भर में लगभग 7.5 मिलियन मीट्रिक टन चावल एक्सपोर्ट किया।

सबसे अधिक चावल निर्यात करने वाले वाले देशों की लिस्ट
(2024 में)
क्रम संख्यादेशचावल उत्पादन (मिलियन मीट्रिक टन)
1.भारत22
2.थाईलैंड7.5
3.वियतनाम7.5
4.पाकिस्तान5.3
5.कंबोडिया3.4
6.यूएस3.2
7.म्यांमार1.5
8.ब्राजील1.3
9.चीन1
10.उरुग्वे1

कौन से देश हैं खरीदार

भारत सऊदी अरब, ईरान, इराक और बेनिन जैसे देशों को बासमती और नॉन-बासमती वैरायटी भेजता है। 2024-25 में एक्सपोर्ट वॉल्यूम लगभग $11.83 बिलियन तक पहुंच गया, जो ग्लोबल एक्सपोर्ट का लगभग 30.3% है, और ग्लोबल फ़ूड सिक्योरिटी के लिए देश की भूमिका बहुत अहम है।

भारत के चावल एक्सपोर्ट की खास बातें

सबसे बड़ा ग्लोबल एक्सपोर्टर : ग्लोबल चावल एक्सपोर्ट मार्केट में भारत टॉप पर है।

मुख्य आयातक : मुख्य आयातक देशों में सऊदी अरब, ईरान, इराक, बेनिन और यूनाइटेड अरब अमीरात शामिल हैं।

निर्यात की गई वैरायटी : भारत प्रीमियम बासमती चावल, मुख्य रूप से वेस्ट एशिया और यूरोप को और सस्ता नॉन-बासमती चावल, खासकर पारबॉयल्ड चावल, अफ्रीका को एक्सपोर्ट करता है।

एक्सपोर्ट वॉल्यूम : 2024-25 में भारत के चावल एक्सपोर्ट की वैल्यू लगभग $11.83 बिलियन रही।

एक्सपोर्ट वॉल्यूम ट्रेंड : हाल के सालों में कुल चावल का प्रोडक्शन बढ़ा है, हालांकि सरकारी पॉलिसी और ग्लोबल डिमांड के आधार पर एक्सपोर्ट वॉल्यूम में उतार-चढ़ाव होता रहता है।

सरकारी पॉलिसी : भारत की सरकार अलग-अलग रेगुलेशन और पॉलिसी के जरिए घरेलू कीमत की स्थिरता और एक्सपोर्ट से होने वाली कमाई के बीच बैलेंस बनाती है, जिसका असर ग्लोबल चावल सप्लाई और कीमतों पर पड़ सकता है।

रेगुलेटरी जरूरतें : एक्सपोर्टर को डायरेक्टरेट जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड (DGFT) से एक्सपोर्ट लाइसेंस लेना होगा और क्वालिटी और आसान ट्रांजैक्शन पक्का करने के लिए खास रेगुलेशन का पालन करना होगा।

  

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