सिविल लाइंस थाने में एसटीएफ की गिरफ्त में खड़ा आरोपित सुमित चौधरी। स्रोत- पुलिस
जागरण संवाददाता, बदायूं। 12 मई 2018 को जेल से फरार हुए बंदी सुमित कुमार का नाम जिले के सबसे टॉप अपराधियों में शामिल हो गया था। सबसे ज्यादा उसी पर दो लाख रुपये का इनाम था। यहां जो भी अधिकारी आए, उन्होंने सबसे पहले उसी की कुंडली निकलवाई। उसकी तलाश में टीम भी लगाई, लेकिन उसका पता नहीं चला। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
पिछले आठ साल से लगातार वह पुलिस के लिए चुनौती बन रहा। पहले भी यह आशंका का जताई गई थी कि वह नेपाल फरार हो गया है लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। वह देश के कई प्रदेशों में लगातार ठिकाने बदल-बदलकर रह रहा था, जिसकी वजह से वह नहीं पकड़ा गया।
मुरादाबाद के हजरतनगर गढ़ी थाना क्षेत्र के नवैनी गद्दी निवासी सुमित कुमार जेल से फरार होने से करीब छह माह पहले ही बदायूं जिला कारागार लाया गया था। यहां उस दौरान गोरखपुर का शूटर देवकीनंदन उर्फ चंदन सिंह जेल में बंद था। दोनों एक ही बैरिक में रह रहे थे। इसलिए उनकी पक्की दोस्ती भी हो गई थी। उस दौरान चंदन सिंह के स्वजन और उसके कई नजदीकी बदायूं जिले में डेरा डाले हुए थे।
वह लगातार इस प्रयास में थे कि चंदन सिंह को बाहर कैसे निकाला जाए। वह जेल प्रशासन पर कई आरोप भी लगा चुके थे और लगातार अधिकारियों से शिकायत भी कर रहे थे, जिसकी वजह से जेल प्रशासन भी काफी परेशान था लेकिन उसी दौरान सुमित और चंदन सिंह के गुर्गों ने उन्हें बाहर निकालने का प्लान बना लिया था। दोनों ने एक साथ भागने की योजना बनाई थी। सिविल लाइंस थाने के पीछे से जेल में एक रस्सा फेंका गया था और उसका दूसरा सिरा कबाड़े में खड़े ट्रक से बांध दिया गया था।
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12 मई की रात करीब पौने आठ बजे सुमित उसी रस्सा के सहारे चढ़कर जेल से फरार हुआ था। चंदन सिंह ने दो बार प्रयास किया था लेकिन वह रस्सा नहीं चढ़ पाया और जेल में ही रह गया। हालांकि बाद में वो भी आगरा के मेडिकल कॉलेज से फरार हो गया था। तब से लगातार सुमित की तलाश चल रही थी। यहां से फरार होने के बाद सुमित दिल्ली, मेरठ, तमिलनाडू, असम, नेपाल, उड़ीसा आदि जगहों पर रहा। उसकी तलाश में कई टीमें भी लगाई गई थीं लेकिन उसका पता नहीं चला। बाद में अनुमान लगाया गया कि वह नेपाल फरार हो गया है। इससे मामला एसटीएफ के हाथों में चला गया।
सिपाही की मदद से जेल में पहुंची थी पिस्टल, होमगार्ड के ऊपर चलाई थी गोली
इस समय जिला कारागार में भले ही सख्त नियम हो गए हैं लेकिन उस दौरान जेल में सब कुछ चलता था। बंदियों के पास मोबाइल भी थे और चरस, गांजा, बीड़ी, सिगरेट सब कुछ पहुंचता था। चंदन सिंह के गुर्गो ने एक सिपाही से दोस्ती कर ली थी और उसी की मदद से जेल में पिस्टल भी पहुंची थी। शाम को गिनती के बाद सुमित और चंदन सिंह दीवार किनारे फसल में जाकर छिप गए थे और अपने गुर्गों का इशारा मिलने का इंतजार कर रहे थे।
जैसे ही उन्होंने टार्च की रोशनी से इशारा किया कि वह दीवार किनारे पहुंच गए। जैसे ही जेल के अंदर रस्सी फेंकी गई कि वैसे सुमित तो चढ़ गया लेकिन चंदन सिंह नहीं चढ़ पाया। तब तक वहां जेल में तैनात होमगार्ड पहुंच गया था। उसने दोनों को रोकने का प्रयास किया। तभी चंदन सिंह ने उसके ऊपर गोली चला दी थी जिसकी वजह से होमगार्ड बाल-बाल बच गया लेकिन तब तक वहां कई लोग पहुंच गए थे और उन्होंने चंदन सिंह को दबोच लिया था।
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