रीतलाल यादव को 2 हफ्तों में करना होगा सरेंडर (फाइल फोटो)
विधि संवाददाता, पटना। पटना हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने पूर्व मंत्री सत्यनारायण सिन्हा की सन 2003 में हुई हत्या के मामले में ट्रायल कोर्ट के उस फैसले को पलट दिया है, जिसमें मुख्य आरोपी रीतलाल यादव को बरी कर दिया गया था। अपीलकर्ता और सूचक के वकील अजय मिश्रा और अपूर्व हर्ष को सुनते हुए हाई कोर्ट ने इस मामले को फिर से सुनवाई के लिए ट्रायल कोर्ट को वापस भेजा है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
हाई कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि आरोपी, तत्कालीन मुख्यमंत्री के समधी रामबाबू पाठक के घर के नजदीक हुई इस हत्या की जांच पुलिस ने जानबूझकर कमजोर की। न्यायाधीश राजीव रंजन प्रसाद और न्यायाधीश अशोक कुमार पांडेय की खंडपीठ ने राज्य और मृतक की पत्नी आशा देवी की अपील पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया।
कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को \“यांत्रिक और त्रुटिपूर्ण\“ बताते हुए कहा कि उसने गवाहों के बयानों का सही आकलन नहीं किया और जांच एजेंसी की लापरवाही का फायदा आरोपी को दे दिया। बता दें कि दानापुर स्थित एमपी एमएलए कोर्ट ने 14.05.24 को इस मामले में रीतलाल को सभी आरोपों से बरी कर दिया था ।
क्या है पूरा मामला?
30 अप्रैल, 2003 को सत्यनारायण सिन्हा अपनी पत्नी आशा देवी और कुछ सहयोगियों के साथ इलाज के लिए अपने बोलेरो वाहन से जा रहे थे। जमालुद्दीन चक, दानापुर के पास
रामबाबू पाठक, रीतलाल यादव और अन्य आरोपी एक मारुति वैन से रास्ता रोका, सिन्हा को वाहन से बाहर खींचा और उन पर गोलियां दाग दीं। उनकी मौके पर ही मौत हो गई। मृतक सिन्हा भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ चुके थे और आरोपी रीतलाल यादव आरजेडी के समर्थक थे। उस दिन आरजेडी का \“तेल पिलावन, लाठी गुमावन\“ रैली था।patna-city-politics,Patna News,Patna Latest News,Patna News in Hindi,Patna Samachar,Bihar news, Patna news, Tejashwi Yadav, Mai Bahan Maan Yojana, Bihar women empowerment, Bihar politics, Patna, Womens financial assistance, Bihar government schemes, Free electricity promise, Gas cylinder subsidy, Students scholarship,Bihar news
हाई कोर्ट की मुख्य टिप्पणियां:
हाई कोर्ट ने 114 पृष्ठों के फैसले में कहा कि “हाई कोर्ट ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि आरोपी रामबाबू पाठक के तत्कालीन सीएम का समधी होने के कारण पुलिस ने जानबूझकर कमजोर जांच की।
गवाहों के बयानों को नजरअंदाज:
ट्रायल कोर्ट ने चश्मदीद गवाहों के ठोस बयानों पर विश्वास नहीं किया और छोटी-छोटी बातों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया।
घटनास्थल से बरामद खून से सनी मिट्टी, कार के शीशे के टुकड़े और वाहन में गोलियों के निशान जैसे सबूतों पर ट्रायल कोर्ट ने ठीक से विचार नहीं किया।
ट्रायल कोर्ट ने इस केस की सुनवाई में उसी घटना से जुड़े एक दूसरे केस (दानापुर थाना मामला संख्या 198/2003) के सबूतों को गलत तरीके से शामिल किया, जो अनुचित था।
इन तथ्यों के आधार पर हाई कोर्ट ने मामले को ट्रायल कोर्ट को वापस भेजा है और निर्देश दिया है कि चार महीने के भीतर फिर से सुनवाई पूरी कर फैसला सुनाया जाए।
अदालत ने स्पष्ट किया कि आरोपी रीतलाल यादव को दो हफ्ते में ट्रायल कोर्ट में सरेंडर करना होगा। हाई कोर्ट ने केस की फाइलों की खराब हालत पर भी नाराजगी जताई और उन्हें डिजिटल रूप से सुरक्षित करने के निर्देश दिए। |