आरबीआई ने बताया कि ट्रंप टैरिफ से बचने में GST 2.0 ने बड़ी भूमिका निभाई।
नई दिल्ली| अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नई टैरिफ नीतियों ने दुनियाभर में तहलका मचा दिया। लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था ने बड़ी मजबूती दिखाई। इसकी वजह है- जीएसटी दरों में सुधार, जो 22 सितंबर से लागू हो चुके हैं। इसे लेकर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की ताजा बैठक के मिनट्स में बताया गया कि भारत की विकास दर वैश्विक चुनौतियों के बावजूद मजबूत बनी हुई है, और इसमें GST 2.0 सुधारों ने अहम भूमिका निभाई है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
पहली तिमाही (Q1 2025-26) में देश की GDP उम्मीद से ज्यादा 7.8% की रफ्तार से बढ़ी, जबकि अब पूरे साल की विकास दर का अनुमान 6.5% से बढ़ाकर 6.8% कर दिया गया है। आरबीआई ने माना कि ट्रंप की टैरिफ नीतियों के असर को GST में किए गए बदलावों ने काफी हद तक झेल लिया, यानी यह भारत के लिए “आर्थिक ढाल“ साबित हुआ।
लेकिन आरबीआई ने दी ऐसी चेतावनी!
आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि फिलहाल नीतिगत ब्याज दरों में कटौती की गुंजाइश है। लेकिन जल्दबाजी में कदम उठाने से जोखिम बढ़ सकता है। वहीं, MPC सदस्य प्रो. राम सिंह ने आगाह किया कि, “जब 100 बेसिस पॉइंट की कटौती का असर अभी पूरी तरह दिखा भी नहीं है, तो और कटौती करना \“ओवरडोज\“ हो सकता है।“
यह भी पढ़ें- रतन टाटा की TCS ने छंटनी की तो इंफोसिस ने चला बड़ा दांव; कर्मचारियों को सौंपा भर्ती का जिम्मा, मिलेगा बंपर इनाम!
\“रुको और देखो\“ की नीति अपनाना बेहतर
MPC के अन्य सदस्यों ने भी यही राय दी कि अभी \“रुको और देखो\“ की नीति अपनाना बेहतर है। नागेश कुमार ने कहा कि तेजी का मुख्य कारण ग्रामीण खपत और सरकारी खर्च में बढ़ोतरी है, लेकिन निजी निवेश अभी कमजोर बना हुआ है।
वहीं एमपीसी अन्य सदस्य पूनम गुप्ता ने कहा कि, “घरेलू मांग और नीति सुधारों के कारण अर्थव्यवस्था 6.5-7% की रफ्तार पकड़ सकती है। लेकिन, फिलहाल ब्याज दर घटाने का वक्त नहीं आया।“ सदस्य सौगत भट्टाचार्य ने भी जोड़ा कि मुद्रास्फीति में नरमी अपने आप में कटौती का कारण नहीं बन सकती, क्योंकि वैश्विक स्थिति अभी अस्थिर है।
यानी यह साफ है कि जीएसटी में सुधारों ( GST 2.0) ने भारतीय अर्थव्यवस्था को बाहरी झटकों से बचाने में बड़ी भूमिका निभाई। हालांकि RBI का मानना है कि अभी ध्यान संतुलन और स्थिरता पर है, ताकि विकास की रफ्तार बनी रहे और मुद्रास्फीति भी काबू में रहे। |