भोजपुर जिले का इतिहास
धर्मेंद्र कुमार सिंह, आरा। भोजपुर जिले में अब तक 1952 से लेकर 2020 तक 17 बार विधानसभा का चुनाव हो चुका है। 68 वर्षों के इतिहास में कुल मिलाकर अब तक 1535 प्रत्याशियों ने भोजपुर जिले के विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों से विधायक बनने का सपना देखते हुए चुनाव में अपना भाग्य आजमाया था। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
इन 1535 प्रत्याशियों में महज 119 प्रत्याशियों को ही चुनाव जीतने का सपना पूरा हो सका है। इस तरह जिले में 92.25% प्रत्याशी फेल हुए तो महज 7.75% प्रत्याशी विधायकी की परीक्षा में पास हो पाए हैं। पास हुए इन विधायकों में कई तो बिहार में महत्वपूर्ण मंत्री का पद भी संभाल चुके हैं।
प्रत्याशियों में विधायक बनने की होड़ हालांकि शुरू के विधानसभा चुनाव में कम थी। इसी का नतीजा था कि 1952 से लेकर 1972 तक 29 से लेकर सबसे ज्यादा 61 तक ही संख्या चुनाव लड़ने के लिए प्रत्याशी के रूप में पहुंची थी।
इसके बाद धीरे-धीरे प्रत्याशियों की संख्या बढ़ती गई। 1977 में जहां प्रत्याशियों की संख्या 102 थी, वह 1995 में बढ़ते हुए 240 तक जा पहुंची। इसके बाद से 2020 के बीच में 63 से लेकर 98 प्रत्याशियों ने हर चुनाव में नामांकन कर अपना भाग्य आजमाया था।
1957 में सबसे कम 29 और सबसे ज्यादा कब?
भोजपुर जिले में विधानसभा चुनाव के रिकॉर्ड पर नजर डालें तो 1952 से लेकर 20120 के बीच में सबसे कम प्रत्याशी 1957 में महज 29 चुनाव लड़े थे। वही सबसे ज्यादा प्रत्याशी 1995 में 240 तक खड़े हो अपना भाग्य आजमाया था।
1957 में सातों विधानसभा में कुल मिलाकर 29 प्रत्याशी खड़े थे, तब सबसे कम प्रत्याशी शाहपुर विधानसभा में खड़े थे। वहां से महज तीन प्रत्याशी ही अपना भाग्य आजमाने को मैदान में उतरे थे।
पीरो से रिकॉर्ड 1995 में 48 प्रत्याशी उतरे थे चुनावी समर में
1995 के विधानसभा चुनाव में भोजपुर के सातों विधानसभा में सबसे ज्यादा प्रत्याशी पीरो विधानसभा से चुनावी समर में कूदे थे। जो अब तक का रिकॉर्ड बना हुआ है। इस चुनाव में यहां 48 प्रत्याशी विधायक बनने को आतुर दिखे थे। इस चुनाव में जनता दल की प्रत्याशी कांती सिंह ने सीपीआई एमएल के चंद्रदीप सिंह को हराया था।
... और चुनाव जीतने के बाद भी विधायक की शपथ नहीं ले पाए थे सात विजयी प्रत्याशी
भोजपुर के इतिहास में फरवरी 2005 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान सात प्रत्याशी यहां से जीत हासिल किए थे। इन सभी के जीतने के साथ ही बिहार में किसी भी राजनीतिक दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिल पाया था।
किसी पार्टी की सरकार नहीं बनती देख दुबारा नए चुनाव कराने की घोषणा कर दी गई। इस तरह सात विजयी प्रत्याशी विधायक का सपथ भी नहीं ले पाए थे, इस कारण ये विधायक बनते बनते रह गए थे।
वर्ष प्रत्याशियों की संख्या
1952
57
1957
29
1962
38
1967
51
1969
61
1972
52
1977
102
1980
102
1985
112
1990
191
1995
240
2000
81
Feb 2005
81
Oct 2005
63
2010
94
2015
98
2020
83
कुल
1535
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