पहलगाम हमले के बाद पटरी पर नहीं आ रहा कश्मीर का पर्यटन उद्योग। फाइल फोटो
जागरण संवाददाता, श्रीनगर। पहलगाम आतंकी हमले के पांच महीने बाद भी कश्मीर में पर्यटन उद्योग पटरी पर नहीं लौटा है। पर्यटन का ढांचा बुरी तरह चरमराया हुआ है। सरकार के कड़े प्रयास के बावजूद पर्यटक पहले जैसे कश्मीर का रुख नहीं कर रहे हैं। होटलों में बुकिंग औसतन 20 प्रतिशत तक सिमट गई है। अमरनाथ यात्रा भी पर्यटन को मरहम नहीं लगा पाई है। हमले के बाद बंद पड़े कई प्रमुख पर्यटनस्थल अब तक नहीं खुले हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
अनगिनत परिवारों की आजीविका भी प्रभावित हुई है। अधिकांश होटलों के शटर बंद और टैक्सी स्टैंड सुनसान हैं। जम्मू और कश्मीर होटल क्लब के अध्यक्ष मुश्ताक अहमद ने होटल मालिक संकट में हैं। खर्चे निकलना मुश्किल हो गया है। वेतन देना मुश्किल हो रहा है और कइयों ने कर्मियों की छटनी शुरू कर दी है। अप्रैल से हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। पर्यटक पूछते रहते हैं कि दूधपथरी और अरु घाटी जैसी जगहें अभी भी बंद क्यों हैं।
हम उन्हें आने के लिए कैसे मनाएं। देश भर में घाटी के पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के प्रयासों की सराहना की, लेकिन जोर देकर कहा कि “मुख्यमंत्री आगे बढ़कर नेतृत्व कर रहे हैं, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। हम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से देशव्यापी पर्यटन पुनरुद्धार अभियान का नेतृत्व करने का आग्रह करते हैं। जब तक शीर्ष नेतृत्व हस्तक्षेप नहीं करता, हमारा उद्योग उभर नहीं पाएगा।
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उपराज्यपाल मनोज सिन्हा को सुनिश्चित करना चाहिए कि पर्यटन स्थलों को तुरंत फिर से खोला जाए ताकि हम पर्यटकों को खोखले वादों से ज़्यादा कुछ दे सकें।ट्रैवल एजेंट निराश :ट्रैवल एजेंटों ने भी यही निराशा जताई। ट्रैवल एजेंट्स एसोसिएशन आफ कश्मीर के अध्यक्ष फ़ारूक़ अहमद ने कहा कि पर्यटकों की आमद बहुत कम हो गई है। आगमन 10 प्रतिशत से भी कम हो गया है। पहलगाम हमले के बाद पर्यटक डरे हैं।
बंगाल, अहमदाबाद और अन्य शहरों में ट्रैवल ट्रेड फेयर में हमारी भागीदारी के बावजूद, प्रतिक्रिया नगण्य रही है। पर्यटन सर्किट पर तत्काल पुनर्विचार की आवश्यकता है। हम गुलमर्ग, सोनमर्ग और श्रीनगर मुगल गार्डन पर निर्भर नहीं रह सकते। पहलगाम अब दो दिन का गंतव्य है जो आधे दिन में बदल गया है। जब तक पूरे पर्यटनस्थल नहीं खुलते, पर्यटक नहीं आएंगे। हमें भार को कम करने के लिए दूधपथरी, युसमर्ग, कोकरनाग और डक्सुम जैसे नए सर्किट को बढ़ावा देना चाहिए।
पर्यटक तीन से चार दिन के यात्रा कार्यक्रम चाहते हैं, न कि एक दिन का ठहराव। सरकार को अब यह पारिस्थितिकी तंत्र बनाना चाहिए, अन्यथा हम खत्म हो जाएंगे।यह मंदी चिंताजनक : श्रीनगर टूरिस्ट रिसेप्शन सेंटर से टैक्सी चलाने वाले रियाज अहमद ने कहा,अब हमें एक भी बुकिंग पाने के लिए कई दिनों तक इंतज़ार करना पड़ता है। शोपियां, पहलगाम और अन्य सेब-समृद्ध और पर्यटन-निर्भर जिलों के लिए यह मंदी चिंताजनक है जहां आजीविका बागवानी और आतिथ्य दोनों से गहराई से जुड़ी है।
दक्षिण कश्मीर में 85 प्रतिशत से ज़्यादा परिवार पर्यटन या बागवानी पर निर्भर हैं, इसलिए यह संकट स्थानीय अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र में फैल रहा है। पर्यटन होटल और ट्रैवल एजेंसियों तक सीमित नहीं है - यह कारीगरों, शिकारा मालिकों, घोड़े वाले, हस्तशिल्प विक्रेताओं और दिहाड़ी मजदूरों का पेट भरता है। अगर यह पतन जारी रहा, तो पूरी श्रृंखला को नुकसान होगा। हम केंद्र और केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन से तत्काल कार्रवाई करने की अपील करते हैं। |