deltin33 • 2025-10-12 06:36:21 • views 187
वादा करने के बावजूद आपूर्ति नहीं कर रहा चीन। (फाइल फोटो)
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। भारतीय कंपनियों के लिए रेअर अर्थ मैग्नेट की आपूर्ति की बाधाओं को खत्म करने का वादा चीन ने किया था। लेकिन तकरीबन दो महीने बीत जाने के बावजूद चीन का रवैया बहुत नहीं बदला है। यह वादा चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने भारतीय विदेश मंत्री के साथ बैठक में और राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने पीएम नरेन्द्र मोदी के साथ शीर्षस्तरीय बैठक (अगस्त, 2025) में किया था। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
बैठक के बाद आपूर्ति शुरू तो हुई है लेकिन उसकी शर्तें इतनी कड़ी हैं, उसको पूरा करना भारतीय कंपनियों के लिए आसान नहीं है। इसी बीच नौ अक्टूबर, 2025 को चीन ने पांच किस्म के और दुर्लभ धातुओं के आयात पर रोक लगा दी है। वैसे इन सभी पांच धातुओं (होल्मियम, एर्बियम, थुलियम, यूरोपियम, इटरबियम) का भारत में कोई खास उपयोग नहीं होता लेकिन रेअर अर्थ मैग्नेट की आपूर्ति निर्बाध तरीके से शुरू नहीं होने से भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग अभी भी परेशान है।
\“नहीं सुधरी आपूर्ति की स्थिति\“
भारतीय ऑटोमोबाइल कंपनियों के संगठन सियाम (सोसायटी ऑफ ऑटोमोबाइल मैन्यूफैक्चर्रस ऑफ इंडिया) के महानिदेशक राजेश मेनन ने बताया कि, “रेअर अर्थ मैग्नेट (आरईएम) की चीन से होने वाली आपूर्ति की स्थिति बिल्कुल नहीं सुधरी है। चीन ने अप्रैल, 2025 में इसकी आपूर्त पर जो रोक लगाई थी, वह अभी तक जारी है।\“\“
उद्योग जगत के सूत्रों का कहना है कि चीन की तरफ से भारत को कोई अलग से छूट नहीं दी जा रही है जैसा कि हमें पहले इस तरह का संकेत दिया गया था। बल्कि, चीन ने भारत से \“\“एंड-यूजर सर्टिफिकेट\“\“ की मांग की है, जिसमें गारंटी दी जाए कि ये मैग्नेट अमेरिका को री-एक्सपोर्ट न हों या हथियार निर्माण में न इस्तेमाल हों। इसके लिए भारतीय कंपनियों को केंद्र सरकार से सत्यापित प्रमाण-पत्र चीन के संबंधित एजेंसी के पास जमा कराना है।
नए विकल्प आजमा रही कंपनियां
वैसे भारतीय ऑटोमोबाइल कंपनियां कुछ विकल्पों को आजमाना शुरू कर दिया है लेकिन यह भी चीन के भरोसे ही हैं। जैसे दोपहिया वाहन निर्माता कंपनियों ने चीन से लाइट रेअर अर्थ मैग्नेट (एलआरई) का आयात शुरु कर दिया है। चीन ने इस पर रोक नहीं लगाई है। प्रतिबंध सिर्फ हेवी रेअर अर्थ (एचआरई) मैग्नेट पर लगी है। इसका इस्तेमाल बढ़ने से कंपनियों की लागत बढ़ गई है। इसके अलावा कई ऑटोमोबाइल कंपनियों ने सीधे मोटर का आयात शुरू कर दिया है ताकि एचआरई की आपूर्ति का झंझट ही नहीं रहे।
अधिकांश तौर पर ये मोटर भी चीन से ही मंगाये जा रहे हैं। देश की बड़ी कार कंपनियों के पास अभी एचआरई का कुछ पुराना स्टॉक भी है और दूसरे देशों से भी इसे मंगाया जा रहा है। लेकिन चीन से लाना बहुत मुश्किल है।
आसान नहीं होगा भारतीय उद्योग के लिए रास्ता
वैश्विक हालात जिस तरह से बन रहे हैं उससे नहीं लगता कि चीन का रवैया बदलेगा भी। अप्रैल 2025 में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के नए टैरिफ के जवाब में चीन ने सात दुर्लभ धातुओं (जैसे सैमेरियम, गैडोलिनियम, टरबियम) पर निर्यात प्रतिबंध लगाया था। दो दिन पहले पांच धातुओं को और जोड़ दिया गया है।
इस तरह से कुल 12 धातुओं के निर्यात को चीन रोक चुका है। इन सभी धातुओं के वैश्विक कारोबार में चीन का हिस्सा 70 से 95 फीसद तक है। चीन के नये कदम पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने बेहद कड़ी प्रतिक्रिया जताई है और चीन पर लगाये गये शुल्क और बढ़ाने की बात कही है। ऐसे में भारतीय उद्योगों के लिए भी रास्ता आसान होता नहीं दिख रहा।
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